खुशियों को गले लगाना है तो,परिंदो की तरह रहना
मुक्त गगन में प्रसन्न उड़ान,पवन के सुकून सा बहना
रात्रि के भरपूर विश्राम के बाद,सूर्योदय होते निकलना
दिन भर गतिशील रहकर,मधुर स्वर में चहकना
हर दिन नए नजारों में,कुदरत के सानिध्य में संवरना
उसकी रजा में संतोष रख,अस्तित्व अमृत खुद में भरना
ये जीवन इक यात्रा समान,हर लम्हा दिल से निखरना
परिंदे सिखाते अर्थ सफर का,उन जैसा जीवन करना
गुरमीत
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