Vivek Ahire  
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Joined 5 April 2019


Joined 5 April 2019
4 MAY AT 11:00

वो मेरे किसी सपने की तरह थी,
साथ थी मेरे यकीन नहीं हो रहा था,
दूर ना जाए इस लिए संभाल के रखता था,

खुद को उसके साथ देखने की आदत सी हो गई,
अब उस के जाने का यकीन नहीं हो रहा था,
सपना बनकर वह आयी और जगह के हमें चली गई...— % &

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30 APR AT 11:08

Move on कहना तो आसान है,
लेकिन क्यों लोग मिलने से डरते है।
जब पहली बार मिलते है तो सेलिब्रेशन करते है,
तो जाने से पहले क्यों मिलने डरते है।

वह ख्वाब दिखाते है जिंदगी का,
फिर छोड़ दिया बिना वजह।
Move on कहना आसान है,
Move on के साथ जीना नहीं।— % &

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29 APR AT 12:02

सन्नाटा अच्छा लगता है,
जब अपनों से धोखा मिलता है।
दिल में मचे शोर से बेचैन हो जाए,
सन्नाटा तुम्हारा दोस्त हो जाता है।

खुद से कभी मिलना हो,
सन्नाटा अपना सा हो जाता है।
हर सवाल का जवाब चाहते हो,
सन्नाटा अच्छा लगता है।— % &

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26 APR AT 9:24

परिंदों की तरह रहना,
ऊंची ऊंची उड़ानें तुम लेना।
गिरने से मत डरना,
आसमान को तुम छु लेना।

परिंदों की तरह रहना,
अपनों के साथ तुम रहना।
आसमान की ऊंचाइयों में,
धरती मां को मत भूलना।— % &

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25 APR AT 13:42

अपनों की लड़ाई में,
घर अकेला रह गया।
बांध के जिसे रखा था,
वह बंटवारे में टूट गया।

साथ अपनों का छूट गया,
घर अकेला रह गया।
सपना जो देखा था, एक परिवार..
वह सपना ही रह गया।— % &

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23 APR AT 10:23

हार जाता है यह दिल,
जब कोई खिलौना समझकर खेल लेता है|
टुकड़ों में बिखर जाते हैं अरमान,
जब सालों का रिश्ता एक झूठ पर खड़ा दिखता है|

हार जाता है यह दिल,
जब याद उसकी आती है|
जिंदगी के ख्वाब जिसके साथ थे,
वह एक पल मे तूट जाते है|— % &

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22 APR AT 10:15

मत करो खुद का विनाश,
जियो और जीने दो,
लालच से नष्ट होगा यह संसार,
ख्याल रखना फिर तुम्हारा,
मैं हूं प्रकृति,
मेरे भी कुछ नियम,
पालन करोगे तुम उसका,
ध्यान रखूंगी मैं तुम्हारा...— % &

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20 APR AT 3:04

अब तो मेरी सुन ले,
नहीं है यह दुनिया तेरे लिए,
ये दिखावे की दुनिया है,
खेलेंगे तुमसे यहां,
समझ नहीं पाएंगे,
पैसों से‌ तोलते है,
प्यार नहीं कर पाएंगे,
बहुत हुई मनमानी दिल,
अब तो मेरी सुन ले...— % &

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20 APR AT 1:54

टूटना पड़ा तो टूट जाएंगे,
लेकिन खुद को संभालना सीख जाएंगे,

आज अगर रुक गया,
तो जवाब मिल नहीं पाएंगे,
नए रास्ते खुल नहीं पाएंगे..— % &

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20 DEC 2023 AT 2:32

बात सुनो मंज़िल की भी,
हर रोज मुश्किलें बढ़ती है,
कभी न रुकना कभी न थकना,
तभी मंज़िल पाओगे...

बात सुनो मंज़िल की भी,
भटक ना जाएं राह तुम्हारी,
झूठे लोगो की बस्ती है यहां,
अपनी मंजिल खो जाओगे...

बात सुनो मंज़िल की भी— % &

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