Paramjeet Singh   (राही (परमजीत सिंह ))
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Joined 15 February 2022


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8 MINUTES AGO

होंगे तेरे पास अब कुछ नए फूल गुलाब के
हमने तो उस किताब को रोज सजदा करते है
मेरे प्यार का सूखा गुलाब रखा है जहाँ |

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11 HOURS AGO

इक उसे गैर होकर भी परवाह थी मेरी
अपनों ने तो कब्रे ही खोदी हर मोड़ पर |

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YESTERDAY AT 7:37

तेरे जाने का दर्द नहीं मुझे भूल जाने का डर है
तेरे न होने का दर्द नहीं तुझे खोने का डर है

यूँ तो तेरे बिना जिन्दा रह ही लेंगे ऐ जिंदगी
मरने का कोई डर नहीं जिन्दा रहने का दर्द है

अक्सर लोग पुराना टाइम भूल जाते है
तन्हाई का डर नहीं तेरी यादों का दर्द है

वो कभी तेरा बच्चो सा रूठ जाना और मेरा मनाना
अपने आंसुओ का नहीं तेरे रूठ जाने का डर है

कभी जो आये याद मेरी तो तू आँसू न बहाना
अपने बहते जख्मो का दर्द नहीं तेरे आँसुओ का डर है |

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5 MAY AT 19:33

जो तू नहीं साथ, जिंदगी फिर क्यों है
अक्सर ये सवाल, मेरे आंसू पूछते है |

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5 MAY AT 7:30

कुछ मजा ही अलग है दिलदारे इश्क़ में मरने का
अब पता चला क्यों पतंगे शमा के लिए मरते है |

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3 MAY AT 13:34

वो तो सब के लिए खड़ा था सबके साथ
रिश्तो और फ़र्ज़ की डोर से बंधा था

उसके दिल में सबके लिए स्नेह था
बस आंखे कुछ नम सी थी

न कभी उसे चाह थी की कुछ मिले बदले मे
और न ही कभी उसे कुछ मिला था

वो पतझड़ में आगे था मगर बसंत में दिखा नहीं
सबके दुखो में साथ था खुद कभी जिया नहीं

खोज लाता था वो अक्सर पानी रेगिस्तान में
मगर खुश था पिलाकर खुद कभी पिया नहीं |

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2 MAY AT 23:56

की कल सुबह फिर आएगी
चिड़या फिर से चहकेंगी
बसंत फिर महकाएगी
सुबह भी फिर से थी
चिड़यां भी थी
बसंत और महक भी
बस इक तू न था
तेरा इंतजार था

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1 MAY AT 21:04

कुछ दोस्त कभी भूले ही नहीं जाते
हम खुदा के दर पे भी तुझसे मिलने आएंगे |

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1 MAY AT 20:20

चले तो हम साथ साथ थे फिर भी तन्हा हो गए
क्योकि चालाकियाँ न साथ थी |

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30 APR AT 21:40

वो खुश बहुत है गैरों के आगोश मे
हमने तो अपनों से भी जख्म खाए |

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