होंगे तेरे पास अब कुछ नए फूल गुलाब के हमने तो उस किताब को रोज सजदा करते है मेरे प्यार का सूखा गुलाब रखा है जहाँ | -
होंगे तेरे पास अब कुछ नए फूल गुलाब के हमने तो उस किताब को रोज सजदा करते है मेरे प्यार का सूखा गुलाब रखा है जहाँ |
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इक उसे गैर होकर भी परवाह थी मेरी अपनों ने तो कब्रे ही खोदी हर मोड़ पर | -
इक उसे गैर होकर भी परवाह थी मेरी अपनों ने तो कब्रे ही खोदी हर मोड़ पर |
तेरे जाने का दर्द नहीं मुझे भूल जाने का डर है तेरे न होने का दर्द नहीं तुझे खोने का डर है यूँ तो तेरे बिना जिन्दा रह ही लेंगे ऐ जिंदगी मरने का कोई डर नहीं जिन्दा रहने का दर्द है अक्सर लोग पुराना टाइम भूल जाते है तन्हाई का डर नहीं तेरी यादों का दर्द है वो कभी तेरा बच्चो सा रूठ जाना और मेरा मनाना अपने आंसुओ का नहीं तेरे रूठ जाने का डर है कभी जो आये याद मेरी तो तू आँसू न बहाना अपने बहते जख्मो का दर्द नहीं तेरे आँसुओ का डर है | -
तेरे जाने का दर्द नहीं मुझे भूल जाने का डर है तेरे न होने का दर्द नहीं तुझे खोने का डर है यूँ तो तेरे बिना जिन्दा रह ही लेंगे ऐ जिंदगी मरने का कोई डर नहीं जिन्दा रहने का दर्द है अक्सर लोग पुराना टाइम भूल जाते है तन्हाई का डर नहीं तेरी यादों का दर्द है वो कभी तेरा बच्चो सा रूठ जाना और मेरा मनाना अपने आंसुओ का नहीं तेरे रूठ जाने का डर है कभी जो आये याद मेरी तो तू आँसू न बहाना अपने बहते जख्मो का दर्द नहीं तेरे आँसुओ का डर है |
जो तू नहीं साथ, जिंदगी फिर क्यों है अक्सर ये सवाल, मेरे आंसू पूछते है | -
जो तू नहीं साथ, जिंदगी फिर क्यों है अक्सर ये सवाल, मेरे आंसू पूछते है |
कुछ मजा ही अलग है दिलदारे इश्क़ में मरने का अब पता चला क्यों पतंगे शमा के लिए मरते है | -
कुछ मजा ही अलग है दिलदारे इश्क़ में मरने का अब पता चला क्यों पतंगे शमा के लिए मरते है |
वो तो सब के लिए खड़ा था सबके साथरिश्तो और फ़र्ज़ की डोर से बंधा था उसके दिल में सबके लिए स्नेह था बस आंखे कुछ नम सी थी न कभी उसे चाह थी की कुछ मिले बदले मे और न ही कभी उसे कुछ मिला था वो पतझड़ में आगे था मगर बसंत में दिखा नहीं सबके दुखो में साथ था खुद कभी जिया नहीं खोज लाता था वो अक्सर पानी रेगिस्तान में मगर खुश था पिलाकर खुद कभी पिया नहीं | -
वो तो सब के लिए खड़ा था सबके साथरिश्तो और फ़र्ज़ की डोर से बंधा था उसके दिल में सबके लिए स्नेह था बस आंखे कुछ नम सी थी न कभी उसे चाह थी की कुछ मिले बदले मे और न ही कभी उसे कुछ मिला था वो पतझड़ में आगे था मगर बसंत में दिखा नहीं सबके दुखो में साथ था खुद कभी जिया नहीं खोज लाता था वो अक्सर पानी रेगिस्तान में मगर खुश था पिलाकर खुद कभी पिया नहीं |
की कल सुबह फिर आएगी चिड़या फिर से चहकेंगी बसंत फिर महकाएगी सुबह भी फिर से थी चिड़यां भी थीबसंत और महक भी बस इक तू न था तेरा इंतजार था -
की कल सुबह फिर आएगी चिड़या फिर से चहकेंगी बसंत फिर महकाएगी सुबह भी फिर से थी चिड़यां भी थीबसंत और महक भी बस इक तू न था तेरा इंतजार था
कुछ दोस्त कभी भूले ही नहीं जातेहम खुदा के दर पे भी तुझसे मिलने आएंगे | -
कुछ दोस्त कभी भूले ही नहीं जातेहम खुदा के दर पे भी तुझसे मिलने आएंगे |
चले तो हम साथ साथ थे फिर भी तन्हा हो गए क्योकि चालाकियाँ न साथ थी | -
चले तो हम साथ साथ थे फिर भी तन्हा हो गए क्योकि चालाकियाँ न साथ थी |
वो खुश बहुत है गैरों के आगोश मे हमने तो अपनों से भी जख्म खाए | -
वो खुश बहुत है गैरों के आगोश मे हमने तो अपनों से भी जख्म खाए |