K S K   (मंजिल हो तुम)
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Coffee Lover ☕☕
फितूर इतना भी नहीं लेखनी का
जख्मो को कुरेदना खुद के कलम से
अच्छा लगता है..
Joined 3 December 2022


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फितूर इतना भी नहीं लेखनी का
जख्मो को कुरेदना खुद के कलम से
अच्छा लगता है..
Joined 3 December 2022
3 HOURS AGO

अधूरा जो रह जाए
ऐसा ख्वाब हो तुम
मंजिल मै नहीं आपका
मेरी "मंजिल हो तुम"

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3 HOURS AGO

शहर की बारिश में हम भींग जाए
आप मेरे इश्क की बारिश में तर बतर
सर्द है आज मौसम बढ़ा ही रुमानी
करीब जरा आओ चूमने दो आपकी पेशानी

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4 HOURS AGO

खामोश रहना बेहतर था
बेवजह दिल की बात कह गए
अल्फाज़ दिल से जब निकले
आप रुसवा मुझसे हो गए

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5 HOURS AGO

आज आसमा भी रो रहा
बारिश की शक्ल में शहर मेरा
इतने नजदीक आकर रूबरू ना होना
ये आँखों की नमी है मेरी बरसात ना समझ लेना

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5 HOURS AGO

एक उम्मीद भी
नाउम्मीद में तब्दील
आपसे रूबरू होना
ऐसी नहीं मेरी तक़दीर

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5 MAY AT 21:10

तुम कहो तो छोड़ दे
शेरो शायरी की ये दुनियाँ
शर्त बस इतनी सी है मेरी
बिन कहे मेरे दिल का हाल
तुम समझ जाया करो

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5 MAY AT 21:07

खुद को मेरी खुद की
नजर ना लग जाए
मेरी आँखों में अक्स
जो तुम्हारा बसता है

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5 MAY AT 20:51

कितना हँसीन ये पल होता
तुम आओ कभी मेरे शहर में
रूबरू आपके होकर चंद नज्म
शेरो शायरी आपके नाम लिख रहा होता..

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5 MAY AT 18:50

खामखा हमने दिल पर इल्जाम लगा लिया
बेतुकी बातो से खुद को जख्म जो है दिया
कह देते एक बार तेरे आस पास है साया
यकीन ना हो तो आसमा में देख जरा
अक्स मेरा कुछ पल में रहेगा वहां

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5 MAY AT 18:44

अब सुकून मिला है मेरे दिल को
जब छूकर गुजरी ये ठंडी हवाये
महसूस होता है क़ोई अपना
मेरे शहर से होकर गुजरा है

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