Vaibhav Ekta Anand   (वैभव झा)
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Ambitious 🏹
Writer 📝
Head strong 🤬
Motivated ✨
Joined 10 December 2018


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26 APR AT 13:48

After all the conversation we got nothing just because you are guilty or right, Nope just because you never want that your special one feel guilty at any cost in front of you!!
This is the only mistake that we all do when we are in a relationship or afraid of losing someone.
@Strange_but_truth 📝

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26 APR AT 9:04

Don't ever think that I am weak or I never get hurt but one difference makes me different from others is that my patience level is much more than you think.

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25 APR AT 22:36

Some times silence is more effective than your words because sometimes people make different meaning of your words in different way but your silence hits them what you exactly want to convey.

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24 FEB AT 22:28

तेरे दर से रुखसत मेरी हुई है
ना जाने क्यों दिल में आहट हुई है
चाहता है दिल धड़क ले कुछ और पल तेरे लिए
पर अब ये सांसे मेरी
क्यूँ अब बस में नहीं मेरे
सोचा था रोक लू कुछ पल खुद को आगोश में तेरे
पर अब मेरे खुदा की मुझे इजाज़त नहीं है
ले आखिरी सलाम मेरा, दे इजाज़त मुझे
और कह दे अलविदा

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11 NOV 2023 AT 9:42

मसला ये नही के कमाते कितना हो,
मसला ये है के खुश कितना रहते हो।

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29 OCT 2023 AT 22:37

आज चलो कुछ दिल का लिखते है,
ना खुद को न जमाने को शर्मशार करते है,
जाने दो जो हो गया बीते कल में,
आज कुछ भी याद नहीं करते है,
क्या हुआ दिल टूटा है तो,
चलो उन बिखरे टुकड़ों को समेट लेते है
तो चला आओ फिर एक नई शुरुवात करते है,
तो क्या हुआ,
अगर खुद को संभाल ना सके पहले की तरह,
बीते हुए कल से एक सबक सीख कर,
खुद को चट्टान की तरह बुलंद करते है
तो चलो एक वादा लिए खुद से,
एक नई शुरुवात करते है।

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21 APR 2023 AT 19:59

उनसे आज मिलने का वादा है
बा खूदा नेक मेरा इरादा है
लेकिन देख लेता हूं उनके आंखो में खुद को तब
सच कहूं तो उस पल वक्त थम सा जाता है
फिर कहना जो होता है उनसे सब भूल सा जाता हूं
और बस उनसे नजरो से ही बात किए जाता हूं
फिर जब घबरा के देर होने की बात करती है वो
फिर उस पल सांसे थम सा जाता है।




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21 APR 2023 AT 14:17

कभी ब्राह्मण राजपूत भूमिहार के नाम राजनीति करते है
तो कभी सूचित अनुसूचित पिछड़ा अतिपिछड़ा के नाम पर राजनीति करते है
साहब ये राजनीति गरीब को गरीब और अमीर को और अमीर बनने को करते है
और इन सब चक्करों में मध्यम वर्गीय लोग मरते है
ये वादे तो शिक्षा व्यवस्था को उत्तम बनने की करते है
लेकिन ऐसे कई चुनावी ढकोसले बस मुद्दे ही बने रह जातें है
वास्तविकता ये है की निजी स्कूल के मालिक साहब करोड़पति बन जाते है और सरकारी स्कूल वाले दाल चावल चूहे और कुकुर खा जाते है
सवा सौ करोड़ की आबादी है हमारी हम आज भी कटपुतली से लगते है कभी घर और समाज का सोच के देखा तो साहब हमें सभी भटके हुए नजर आते है।


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3 MAR 2023 AT 21:33

कहानी लिखने का सौक था
क्या पता था
खुद एक कहानी बन के रह जाऊंगा

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26 FEB 2023 AT 11:47

मैं सौ कदम क्यों ना चल लू तुम्हे पाने के लिए
मुश्किल है तेरा एक कदम मेरी तरफ बढ़ना
खुदा मंजूर करे होशला तेरी हक में
मंजिल खुद ब खुद मुझे अता हो जायेगी।

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