अध्याय - 36
आधुनिक विज्ञान के दरवाजे पर जब ताला लग जाता है तब शुरुआत होती है जानने की उस परम उत्कृष्ट प्रक्रिया की जिसे अध्यात्म कहते हैं!
एक ब्रह्माण्ड उत्तम ब्रह्म से बना है और ब्रह्म को जानने का उत्तम तरीका है ब्रह्माण्ड से अनंत संपर्क का जिसे केवल अध्यात्म ही पुरा करता है,अध्यात्मिक संपर्क आपको बिग बैंग से भी आगे की दुनिया को देखने का मौका देता है,जानते हो एक योगी शांत और स्थिर क्यों होता है,शायद तुम्हें पता ना हो एक योगी वह सब जानता है जहां पर विज्ञान का ज्ञान सीमित होता है,विज्ञान उसी की खोज मे है जो पहले से ही मौजूद हैं वही योगी वह सब समझता है जहां कुछ भी नहीं से सब कुछ हुआ है।योगी,योग मुद्रा में शांति की स्थिति में वह सब देखता है जो शायद बिग बैंग से बहुत पहले से मौजूद था और निरंतर चलता आ रहा है,अगर मैं कहूं की इस भौतिक ब्रह्माण्ड का भी एक जीवन है और फिर एक अनंत अंत भी शायद तुम मुझे बावला कहो लेकिन तुम्हें यह तो पता होना ही चाहिए की जो चीज इस दुनिया में सजीव या निर्जीव रुप में विद्यमान है वह एक अंत की तरफ बढ़ रही है,फिर तो अनंत ब्रह्माण्ड भी अनंत अंत की तरफ बढ़ रहा है,तुम्हें क्या लगता है केवल तुम ही जीवन को जी रहे हो और पृथ्वी मरी हुई है फिर तो तुम अपने जीवन पर सवाल खड़े कर रहे हो?
जब अध्ययन प्राकृतिक अध्यात्म का हो तो विज्ञान के दरवाजे पर ताले लगते हैं!
©-अंकु पाराशर
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