एक खत इश्क़ के नाम का भी लिख रखा था हमने, पता उसपे एक तरफ़ा प्यार का भी लिख रखा था हमने, मायूसि से लौट आया वो डाकिया भी, उस पते से बिना खत दिये ही, वज़ह जब पूछा तो कहने लगा, अब कोई नहीं रहेता इस पते पर इश्क़ करने वाले.. एक खत इश्क़ के नाम का भी लिख रखा जो हमने, पता उसपे भरोसे का जो लिख रखा था हमने, एक खत इश्क़ के नाम का कहीं किताबों में छुपा रखा है अब हमने....
लोग आते हैं मतलब से तेरे दर पर, खुद की जोलिया भरने की उम्मीदों से मेरे मतिया पीर, में उनी उम्मीदों से आता हू बिना मतलब तेरे दर पर, सिर्फ तेरा दीदार करने के लिए...
दिल,प्यार,एतबार,वफा,दोस्ती,और किरदार सबको लूटा कर देखा हैं मेने, इंसान इससे भी ज्यादा भरोसा, अगर किसी पर करता हैं तो, वो हैं सिर्फ और सिर्फ पैसा, तजुर्बा कहता हैं...