एक दिन उसने पूछा क्या वजूद है
मेरा तेरी जिंदगी में
मैं ने हंस कर कहा कभी आंखों का पानी
कभी बेफिक्र सी हंसी,
कभी सुकून ना ठहरा हुआ लम्हा
,कभी तड़प
,कभी सर्दी में धूप,
कभी तपती हुई रेत में ओस कि बूंद,
कभी चाहत,
कभी जमाने से कि हुई बग़ावत,
कभी ख्बाव अधूरा सा,
कभी रिश्ता गहरा सा,
कभी हाथों में ना लिखी लकीर
, कभी अल्हड़ सी लड़की की शर्मीले लड़के से कि गई मोहब्बत,
और भी कुछ बताऊं या काफी है
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