बहुत भटका अबतलक प्यासा कुएँ की ज़ुस्तज़ु में
अबके कुएँ को प्यासे का.. इंतज़ार करने दो,
मुहब्बत में अग़र डूबना है तो कूद जाओ बेशक़ मग़र
पऱ फ़िलहाल.. इस समुंदर को.. पहले उसे पार करने दो,
रानी औऱ दास की मुहब्बत का अंजाम क्या होगा
मरने को मैं हूँ तैयार.. बस उसे जीभर के प्यार करने दो,
कौन मेरा दुश्मन है यह पता तो चले अहल-ए-दिल
खंज़र लिये खड़े हैं.. बहुत यार.. बस उन्हें वार करने दो,
वो कहे तो जान भी हाज़िर है हजरत के कदमों में
पऱ पहले मुझे अपनी हुक़ूमत पे.. एतबार करने दो!!
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