Narendra Abhishek   (Narendra 'Abhishek')
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Joined 23 April 2020


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Joined 23 April 2020
23 APR AT 20:31

खिड़कियों से झांकते दृश्य
हर पल बदलते अपने नजारे

कहीं खेतों का सीना खालीपन से भरा
कहीं लहलहाती फ़सलें भरती रंग हरा

कभी आते हैं जंगल कई रहस्यों को लिए
कभी शहर की रोशनी में दिखते सपने नए

पहाड़ की ऊंचाइयों ने झकझोरा कई बार
नदी के गीत ने सिखाई निरन्तरता हर बार

ट्रैन के सफर पर हैं, कई तरह की कहानियां
हर जीवन में चलती हैं, कई तरह की आंधियां

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6 APR AT 16:51

कभी जलता हुआ भोजन
कभी धुँधला होता पन्ना
फिर भी चूल्हे की आंच पर
पक रहा है बड़ा सपना

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6 APR AT 15:59

यात्रा से केवल स्थान ही नहीं बदलते
बदल जाते हैं कई बार दृष्टिकोण भी

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9 MAR AT 13:35

पूल तो सिर्फ चोटियों को जोड़तें हैं
पहाड़ों को जोड़ती है उनकी गहराइयां

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9 MAR AT 13:32

कब तक करते इंतजार तुम्हारा
अब हम खामोशी से दिल लगा बैठे
निकल चुके हैं हम अपने सफर पर
अब तन्हाई को अपना बना बैठे

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7 MAR AT 18:32

तुझे
सुनना...
पढ़ना...
जानना...
देखना..
सब हो जाता है

बस चाहत है तो
सिर्फ एक चीज की
तुम सामने हो और
मैं घण्टों निहारता रहूँ तुझे

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15 JAN AT 12:26

हर सच से निकलती हैं
आग की लपटें
कोई खुद को जला लेता है तो,
कोई पका लेता है।

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5 DEC 2023 AT 13:56

ये जो थका रही है ना दोस्त
मेहनत नहीं
जिंदगी है

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5 FEB 2023 AT 10:06

तुम्हारा हर एक संघर्ष लोगों के लिए मूर्खता है
जब तक तुम सफल नहीं होते।

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4 DEC 2022 AT 10:51

जंजीरो से आजाद
हर एक परिंदा होना चाहता है।

खुले आसमान में उड़कर
वह गोते लगाना चाहता है।

लेकिन कुछ जिम्मेदारियों के चलते
परिंदा, जंजीरो को चाहता है।

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