है तमन्ना यही तू ग़ैरों में भी सरफ़राज़ हो,
करूँ मैं फ़रियादें तेरी उम्र बेहद दराज़ हो,
तेरी कामयाबियों को लगे ना नज़र कभी,
तू हर जगह सुर्ख़रू हर दिल-मुमताज़ हो,
ताउम्र तेरी आँखोंमें मोहब्बत देखना चाहूँ,
न रूठे तू कभी मुझसे न कभी नाराज़ हो,
मेरे होंठोंकी खिलती कलियाँ तुझसे ही है,
फ़क़त तूही मेरी हर बीमारी का इलाज है,
मेरी ज़िन्दगी का हर बाब तुझसे रौशन है,
तुम ज़ीस्त-ए-असासा तुम ही हमराज़ हो!
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