असफलता अंत नहीं है, सफलता पाने तक चलना होगा,
सुबह के सूरज की तरह अस्त होकर भी निकलना होगा।
ज़िंदगी के ख़्वाबों को पूरा करने का रखना हौंसला तुम,
सफ़र की लग्ज़िशों में भी हरबार गिर कर संभालना होगा।
तुम्हारी ज़िद के आगे बदल जाएगा ये दौर-ए- आस्मां भी,
मंज़िल की तिश्नगी रखकर लक्ष्य की राह से गुज़रना होगा।
सुबह का सूरज भी अकेला आता है जहां को रौशन करने,
लक्ष्य हासिल करने केलिए अपना रहबर ख़ुद बनना होगा।
इस आसमां के आगे एक और आस्मां भी मिलेगा तुमको,
कुवत-ए-परवाज़ है तुझमें साहस करके ऊँचा उड़ना होगा।
ख़ुदा-ए-पाक बड़ा मेहरबान होता है अपने बंदों पे 'पारुल'',
परचम बुलंद होगा बस उसका शुक्र करना सीखना होगा।
-