मेरी चश्म-ए-तर होना वाजिब है इश्क़ में,
अब शीशा-ए-ख़्वाब चुभ रहें है आँखों में।-
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Khayal-e-sheenam
मेरी चश्म-ए-तर होना वाजिब है इश्क़ में,
अब शीशा-ए-ख़्वाब चुभ रहें है आँखों में।-
दिल में रहने वाले कब कहाॅं और कैसे दिल तोड़ देते हैं
कर के वादे ता-उम्र साथ देने के फिर हाथ छोड़ देते हैं।-
मोहब्बत के सफ़र में अक्सर तन्हा होते ही,
दर्द अश्क यादों का क़ाफ़िला साथ होता है।
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सर्द मौसम की उदासी दूर हो जाएगी,
तुम बाहों में लो तीरगी नूर हो जाएगी।-
अगर मुम्किन नहीं होता तो हम तो हार गए होते,
तेरी इस बेवफाई के हाथों ख़ुद को मार गए होते।-
दीदार-ए-चांद की ख़ातिर हम शब से मोहब्बत कर बैठे,
उसकी ख़ुशबू से महकते हैं जाने कैसी सोहबत कर बैठे।-
दिन भर की सारी थकन तेरे कांधे सर रख उतारना चाहती हूं
क्या इजाज़त है मुझे तेरे सीने से लग कर बिखरना चाहती हूं!-
चाॅंद से आरज़ू है ज़मीन से देखने का हक़ तो दे,
शौक़ से उसके माथे सजे मुझे कुछ चमक तो दे।-