QUOTES ON #त्याग

#त्याग quotes

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17 DEC 2019 AT 9:14

सुविधाओं का त्याग ज़रूरी हो जाता है

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1 JAN 2021 AT 9:01

प्यार खुशी है
खुशी घुटन में मर जाती है
प्यार आज़ादी है
आज़ादी बहुत त्याग मांगती है
प्यार त्याग है
त्याग हमेशा स्वेच्छा से होता है
नाराज़गी या नफरत से नही
प्यार नफरत नही है

पर नफरत और प्यार
एक रूप से समान है
नफरत तोड़ देती है
प्यार भी तोड़ देता है।

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22 NOV 2021 AT 8:05

अच्छा हुआ जो झड़ गए मन के अहम के पत्ते
वरना.. ऊंचाई से गिरने का पता कैसे चलता,
और जो नए अंकुर फूटे हैं वक़्त की टहनी पे
उन्हें मौसमों से लड़ने.. का पता कैसे चलता,
है ना..,

शुक्र है.. के तू मुझे नहीं मिली हमदम
मिलती तो.. बिछुड़ने का पता कैसे चलता,
माना के ख़्वाबों के तारे टूटते हैं.. ज़िन्दगी
पऱ टुटकर भी.. ना बिखरने का पता कैसे चलता,
है ना...,

भला हुआ.. जो नहीं रुका.. नयनों का पानी
नहीं तो नदिया को झरने का.. पता कैसे चलता,
और अच्छी है "दिल".. चहरे पे कोयले सी कालिख़
वरना मिट्टी को सोने सा.. निखरने का पता कैसे चलता,
है ना...!

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25 AUG 2019 AT 12:30

सुनो !
पुरुष के से गुण अब भी नही आये मुझे
मैं एक नारी हूँ ! इच्छाओं को त्यागना ही सीखा ...

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30 NOV 2021 AT 16:31

इस धवल यामिनी में.. मैं एकाकी
संग.. चाँद.. गगन पे भ्रमण करूँ,
अब कौन सा स्वप्न तेरा अधिक प्रिय है
"प्रिय".. मैं किस तारक का वरण करूँ,
हर दिशा प्रेम की.. मन भरमाये
बिन तुझ कैसे जीवन भरण करूँ,
तठस्थ नयन.. मुंध के बैठा हूँ
बस असहाय सा.. तुझको स्मरण करूँ,

है बहुत ही आतुर ह्रदय का "राम" वियोग में
सोचे.. कैसे "सीता" ग्रहण करूँ,
और नहीं पास है.. रावण का वो मृग सोने का
जो निकट तुम्हारे.. विचरण करूँ,
बस मिलें प्रभु तो.. तुझको माँगूँ
मैं अबोध त्याग सब.. शरण पडूँ,
नहीं है युद्ध प्रेम का मेरे बस में
बस रोऊँ-धोऊँ.. चरण पडूँ,
इस धवल यामिनी में.. मैं एकाकी
संग.. चाँद.. गगन पे भर्मण करूँ..!

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17 DEC 2019 AT 9:40

क्या सुविधाएँ कहती हैं त्याग दो मुझे
अपनी ज़रूरतों के लिए आग दो मुझे

लक्ष्य प्राप्ति तो संभव ही है हौसलों से
क्यों फिर क्षणों के लिए यूँ राग दो मुझे

तनिक चिंता करो हमारी तुम मिलकर
अपने लिए अब न कभी बैराग दो मुझे

गंदगी तो साफ़ हो ही जाएगी "आरिफ़"
क्यों मतलब के लिए तुम झाग दो मुझे

"कोरा काग़ज़" हैं सुविधाओं को लेकर
झूठी स्याही बिखेरो और दाग़ दो मुझे

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25 OCT 2020 AT 14:28

दशहरे.. का हर तरफ़ उल्लास है
रावण दहन का.. प्रकाश है,

पाने को प्रेम.. सब पार किया
कहाँ वो सीता सा त्याग.. ना राम सा प्रयास है,
वो सतयुग के दिल थे जो मिल गये
अब मुहब्बत.. कलयुग के पास है,

उसे.. सोने की लंका भा गई
सीता की.. अभी भी तलाश है,
कौन पार करे ख़्वाबों के सेतु
राम को अब.. भी बनवास है!!

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7 MAR 2021 AT 8:38

सूरज हमें रौशनी देता, हवा नया जीवन देती है । 
भूख मिटाने को हम सबकी, धरती पर होती खेती है ।
औरों का भी हित हो जिसमें, हम ऐसा कुछ करना सीखें ॥
देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें ॥

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2 APR 2021 AT 18:08

"अन्तर्युद्ध पर विजय"
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वो एक स्त्री ही है,
जो अपनी पीड़ाओं से स्वयं का श्रृंगार कर
सबके मन को भा लेती है...!


( कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें )

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26 APR 2021 AT 15:51

अब तक क्या किया,
जीवन क्या जिया,
ज़्यादा लिया और दिया बहुत-बहुत कम
मर गया देश, अरे, जीवित रह गये तुम !

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