फागुन हो, हो रंग कई...और फिज़ा में महके इश्क़ तुम्हारा,तुम पूछो मुझसे,कौन-सा रंग..?मैं कह दूं तुमसे "रंग तुम्हारा",तुम मुझको बांहों में भर लो...रंगों के आगे फिर जानातुमसे गाढ़ा रंग क्या होगा...?(कृपया अनुशीर्षक में पढ़े) -
फागुन हो, हो रंग कई...और फिज़ा में महके इश्क़ तुम्हारा,तुम पूछो मुझसे,कौन-सा रंग..?मैं कह दूं तुमसे "रंग तुम्हारा",तुम मुझको बांहों में भर लो...रंगों के आगे फिर जानातुमसे गाढ़ा रंग क्या होगा...?(कृपया अनुशीर्षक में पढ़े)
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