YourQuote Didi   (YQ Hindi)
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Joined 1 February 2017


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4 HOURS AGO

तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया
इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया

यूँ नहीं है कि फ़क़त मैं ही उसे चाहता हूँ
जो भी उस पेड़ की छाँव में गया बैठ गया

इतना मीठा था वो ग़ुस्से भरा लहजा मत पूछ
उस ने जिस जिस को भी जाने का कहा बैठ गया

अपना लड़ना भी मोहब्बत है तुम्हें इल्म नहीं
चीख़ती तुम रही और मेरा गला बैठ गया

उस की मर्ज़ी वो जिसे पास बिठा ले अपने
इस पे क्या लड़ना फुलाँ मेरी जगह बैठ गया

बात दरियाओं की सूरज की न तेरी है यहाँ
दो क़दम जो भी मिरे साथ चला बैठ गया

'तहज़ीब हाफ़ी'

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5 HOURS AGO

चाँद तू ही कुछ सुझा

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7 HOURS AGO

हम अपनों से हार गए

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9 HOURS AGO

आँखों की चमक

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11 HOURS AGO

हम कितनी भी रचनाएँ लिख चुके हों लेकिन नई रचना की चुनौतियाँ ज्यों की त्यों बनी रहती हैं। इसलिए लेखक को रचना के प्रति हमेशा सजग बने रहना चाहिए।

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12 HOURS AGO

रद्दी की टोकरी

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16 HOURS AGO

खुले आसमान से पूछो

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18 HOURS AGO

पश्चाताप आत्म शुद्धि का सर्वोत्तम उपाय है।

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21 HOURS AGO

सारी मस्ती साथ की है

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8 MAY AT 23:59

"तभी"

जब पहाड़ और झीलें तरंगित होने लगें
समुद्रों में पेड़ चिड़ियों के मित्र बन जाएँ
और उन्हें काटने की कुल्हाड़ियाँ
बननी बंद हो जाएँ दुनिया भर की बन्दूकें
किसी अतल में दफ़ना दी गई हों
फौजी बूटों के मिट जाएँ कारख़ाने
बच्चों की हँसी से दमक उठें युवाओं के चेहरे
पृथ्वी बीजों का उत्साह गाने लगे
थकान और पसीने से भरी हो मिट्टी
कलुष और ईर्ष्या मरें अपने ही विष से
तभी मैं जागूँगी
धूप रोशनी और प्रेम के बीच
आऊँगी इस दुनिया में

'अनीता वर्मा'

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