जेष्ठ आषाढ रीते बीते, सावन की रिमझिम भी खाली है,
तुम आजाओ तो मौसम बदले की बारिश आनेवाली है!
पीक मयूर की जोरो से, आवाज बटेर की जोड़ी से है,
आनेवाला है घर कोई उनके की बारिश आनेवाली है!
गौरेया करे धूल में अठखेली चींटी अंडे लेकर चलती है,
आजाओ मेरे घर की छत नीचे की बारिश आनेवाली है!
अमलतास के झूमर खिले, महुवा पत्तियों से लकदक है,
जिंदगी कर भी दो तुम हरीभरी की बारिश आनेवाली है!
ऊंचे आकाश में उड़ान चील की, जोंक पानी के ऊपर है,
दिल का आँगन है तुमबिन सूना की बारिश आनेवाली है!
दूर्वा गर्मी में भी थी हरीभरी, टीटोड़ी टीले पर आ गई है,
अपना घर है सब से सुरक्षीत की बारिश आनेवाली है!
संकेत देते ये मुझे तसल्ली की अब तुम मान भी जाओ, _Mr Kashish
लौट आओ अब "राज" के घर की बारिश आनेवाली है!
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