रोज़ की है बात । देश में , युद्ध छेड़ा है । आवेश में , अब ना रही सही-गलत की प्रचार-प्रसार ने बढ़त की । नेताओं का किया गलत है देश हो रहा आलस्त है । गुटबाजी है चरम पे न्याय फीर रहा भ्रम पे । सत्य का न रहा बोलबाला जिस करवट बैठा... लिबरल या भक्त साला !!!
मै जिया नहीं .. फिर भी , इन आंखों से वो मंज़र देखा है सालों से ठहरा है जो , वो बहता समन्दर देखा है आख़िर .. वो जीके भी क्या करता उसने , जीते जी... मोहब्बत के हाथ , खंजर देखा है !!!
"आंखों में नमी कर गए" तुम्हें तो समझा था आसमां.. पल भर में ज़मीं कर गए... जो थी खता , खुद से खुद को गुनहगार कर गए पल भर तो रुके होते , किंतु खुद को इस दुनिया से बरी कर गए... असली के साथ तुम्हें भी ' माही ' समझा था फिर भी चेहतो में मेरी तुम अपनी कमी कर गए... जिसकी ना थी कल्पना सपनों में भी , तुम उसकी हंसी कर गए... तुम्हें तो समझा था आसमां पल भर में ज़मीं कर गए !!!
.. ऎ आस बीते लम्हों के बीच , रास्ता हो तेरा .. जिस तरनुम्म में तराने लिए फिरू , उससे वास्ता हो तेरा .. अगर कल को मुख मोड़ भी लिया , तुने .. तोह तू जिस गली से निकले , तुझे देख ... "खास्ता हो हर चेहरा" !!!
बीच मझदार में .. वो मेरे ही साथ थी लहरों ने धोका दिया होगा , वो ऐसे कभी ना करती.. ज़रूर समय ने ही चौंका दिया होगा , ... वैसे तो है ... उसके आशिक़ कई हज़ार , पर इस बार नए वाले के चलते .. उसने हमें भुला दिया होगा !!!