बाज़-औक़ात. दिल ये क़यास करता है,
की उन दबी अल्फाजों को
पन्नों में युं लीख जाउं के ,
कलम का रुकना भी
नामुमकिन सा हो जाए ।
इस वजह से ,
के ये वक्त का इम्तीहान
कभी तलाफ करदे जीदेंगी को,
तो कहीं अफसोस ना रेह जाए
उम्र भर किसी जीन्दा दिल में ।
इस वजह से ,
के कुछ अधुरा सच कंही अधुरा ना करदे
कोई सफरनामा ।
इस वजह से
के ईक काहानी खुबसूरत सी कायानात की
ता उम्र सिर्फ शो ना जांए किताबों में ।
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