कभी-कभी सामने पहाड़ भी
आ जाये तब भी तनिक भय
नहीं लगता.............
जितना कष्ट
एक छोटा सा तिनका
दे देता हैं.........
क्यूं......?
क्यूंकि उसका कोई
अस्तित्व नहीं होता
कोई वजूद़ नहीं होता
ना ठिकाना होता, कि
वह पहाड़ की तरह
एक जगह स्थित रह सकें
वायु के वेग में चलायमान
रहता सदैव, जब चुभ जाता हैं
फिर उथल-पुथल कर देता है
सब-कुछ और फिर .......
अनिष्ठ होना तय कर देता हैं !
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