SȺᵾmɏȺ ŧɍɨᵽȺŧħɨ🌸   (Taste_of_thoughts✍️)
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आजकल नींद ऐसी हो गई है
जैसे चौकीदार की नौकरी!!

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दफ़न होती जा रहीं हर इक ख्वाहिशें
हर कोई आकर मातम‌ मनाकर चला जा रहा
रुह की खबर‌ नहीं, जिस्म मेरा कब्रिस्तान हुए जा रहा ।।

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मैंने जिंदगी से इतना सिखा
अपने आपकों नहीं अपने
काम को सुंदर बनाओं....
आप अपने आप सुंदर हों जायेंगे !!

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तु रास रसावे सबको रिझावें....
व्याकुल तेरे दरस को ये बेचारी!

नटखट रंगीला तेरा हैं अंदाज....
कबसे हम तरस रहे देख छटा न्यारी।

रंग बरस रहें, लगा के अंग....
बरसानें में खेलें होली संग राधा प्यारी!

ना तड़पा तु हैं छबीला, जाने है सबकुछ
कुछ रंग इधर बरसा दूर कर अब तड़प हमारी।

मैं बेबस हूं, कन्हाई, मैं हूं लाचारी.....
देख जरा इधर तो कृष्ण मुरारी,मेरे बांके बिहारी!


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घटा छायी अब अंधेरी
पवन के झकोरे बस चलतें रहें!

इतनी नमीं के बावजूद भी
ना जाने क्या सांसों में अटकते रहे!

उमड़ते-घुमड़ते मेघ में
बेतहासा दुःख सिमटते रहें!

देख मौसम का मिज़ाज समुंदर हुयी आंखें
ना जाने इनको क्या खटकते रहें !

कभी ये मेघ गरजते तों
कभी बिजली बनकर चमकते रहें !

जब इकठ्ठा हुआ दुःखों का अंबार
हर इक बूंद दर्द बनकर छिटकते रहे!


_Taste_of_thoughts✍🏻










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जिस्म की आड़ में जलती रही
मोहब्बत हो गई है उसे वो खुद से
रोज कहती रही।

देख आइने में खुद को निहारतीं
कभी जुल्फें संवारती तो हर रोज़
ऐसे सजतीं रही।

भ्रम इतना हो गया गहरा अंजान
रिश्ता हो गया इतना गहरा ये हैं
मेरा कहकर लड़ती‌ रही!

इस क़दर छोड़ गया‌ कहकर मोहब्बत
हैं झुठीं जिस्म का‌ हैं सब खेल‌,‌और वो
फिर तड़पती रही!

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हूं वही जो पहली दफा,जो तुमसे मुक्तसर हुऐ
काश तुम समझ‌ लेते हमें, नये की नुमाइश नहीं!

तन्हाइयों में ही हैं सुकुन, ना कोई उम्मीद हो
अब रहने दो, मुलाक़ातो की‌ और फरमाइश नहीं !

पुराने चीज़ों की फ़िक्र उन्हे हैं, जिन्हें कद्र पता हो
सहेजें रहूं उन्हें बेहतर,किसी और की आजमाइश नहीं!

पता हैं हमे, फकत तुम मेरे हर‌ इक दर्द से वाकिफ हो
पर‌ देखो तो इस दवा की कोई.... गुंजाइश नहीं!

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आप अपने दुःखों का कारण स्वयं है
ना आपको कोई प्रसन्नता दे सकता
ना आपको कोई कष्ट,..दोनों पूर्ण रूप
से आप पर निर्भर है, आवश्यकता हैं
तो......बस सही "चयन" की....!!


🪷"राधे-राधे"🪷

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बेशक खुबसूरत लगेगीं तुमको ये आंखें
इनकी गहराइयों में इक बार डूब कर
देखना जरा, इस खुबसूरती के पीछे
कितना दर्द छिपा है!!

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मैं थक हार बैठ जाती,
फिर खड़ी हो जाती
ऐ मेरे मालिक हर मुश्किल
पल‌ में तु मेरे हैं साथ...
ज़िन्दगी का कितना भी हो
कठिन इम्तिहान
क्योंकि मुझे विश्वास है,‌ तु गिरने
न देगा थामा हैं मेरा हाथ..
तुझसे हैं मेरी हिम्मत और
तुझसे मेरी मुकाम
निराश उदास मै परेशान सी
हर वक्त, फिर आता
तेरा इक पल‌ को ख्याल मेरे सिर
पर हैं, तेरा हाथ...
तु सम्भाल लेता है, मुझको
नजर अंदाज करता मेरी नादानियों
को जब भी मुझसे होती गलती
बिगड़ती हैं कोई बात...
तुझमे रहूं मैं विलीन ना सुध-बुध
रहें किसी की ना हो किसी से
अब मिलनें की कोई आश
तेरी तड़प जो सुकुन मैं जीऊ
उसी में बीत जाती अब ये रात...
मुझे ना किसी चीज़ का गुरुर
ना किसी का हैं लालच
सबकुछ हैं तुझसे पीछे तेरे बाद
,.... ओ मेरे भोले नाथ 🙏🏻

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