Abhishar Ganguly   (अभि:एकतन्हामुसाफ़िर)
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Joined 2 December 2017


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AN HOUR AGO

ध्यान करो इस जीवन का, प्रण पूरा करो अपने मन का।
हम सबको आँकलन करना चाहिए अपने मन दर्पण का।

ईमानदारी, सच्चाई और दया से सींचना पेड़ उपवन का।
बड़े लोग "क्षमा" से ही परिचय देते हैं अपने बड़प्पन का।

आज नहीं तो कल अवश्य फल मिलेगा स्व आँकलन का।
समाज में बड़ा महत्व रखता है स्थान आपके आचरण का।

आज जो पीड़ा है तो कोई बात नहीं, कल के लिए सह लो।
जीवन बदल सकता है ये किताब अनुभवों के संकलन का।

समझदार होना बहुत ही ज्यादा अच्छी बात है मेरे दोस्तों।
लेकिन कभी मरोड़ कर मत फेंकना पेड़ अपने बचपन का।

बहुत पुरानी बात है कि तन, मन और धन से करोगे तो होगा।
कभी भी जाया नहीं जाता हैं जीवन में ये सीख समर्पण का।

तुम आज कल लगता हैं सही रास्ते पर चल रहे हो "अभि"।
इसलिए तो तुमको "चस्का" लग गया है "आत्ममंथन" का।

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7 HOURS AGO

एक दौर ऐसा भी था जब चारों ओर खुशहाली थी।
लहलहाते थे हरी फसलें व हर तरफ हरियाली थी।

पहले सब मिलजुल कर रहते थे, "सब अच्छा था"।
कोई भी झूठ नहीं बोलता था "हर कोई सच्चा था"।

पढ़ाई लिखाई होती थीं आत्मनिर्भरता के साथ में।
कमाकर बच्चे देते कमाई अपने मां बाप के हाथ में।

सब कुछ ठीक रहता था हर पल आदर्श समाज था।
अपने बच्चों पर हर माता पिता को बड़ा ही नाज था।

साफ़ मन के होते थे सब, न मन में कोई भेद भाव था।
हां, पैसे की कमी होती थीं पर न प्रेम का अभाव था।

कमी निकालने से कुछ नहीं होगा, इसका सुधार करो।
अपने समाज का सुनो मेरे दोस्तों तुम उद्धार ही करो।

वो दौर फिर से लौट आएगा "अभि" बस थोड़ी देरी है।
अपने बच्चों को अपने संस्कार देने तक ही ये अंधेरी है।

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18 HOURS AGO

शब्दों का संसार सबसे सुंदर और सबसे प्यारा होता हैं।
जो मन में हो उसे लिख देना बड़ा ही सुंदर नज़ारा होता हैं।

भाव, शब्द, क़लम, मन के संयोजन से बनता हैं साहित्य।
साहित्यकारों ने एकांत में अपने जीवन को सँवारा होता हैं।

लिखना एक बहुत बड़ी उपलब्धि होती हैं मेरे हिसाब से।
लिखकर के जीत जाता हैं वो जो जीवन में हारा होता हैं।

अक्सर हारे हुए लोग लिखकर अपनी क़िस्मत लिखते है।
लिखकर लेखक के रुप में उनका जन्म दोबारा होता हैं।

बारहा कहता हूँ "अभि" कि अपनी ख़ुशी के लिए लिखो।
वाहवाही छोड़ो, लिखने से केवल फ़ायदा तुम्हारा होता हैं।

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19 HOURS AGO

ख़ुद पर यक़ीन रखना, सफ़र-ए-ज़िंदगी में आगे बढ़ते रहना।
चाहे कुछ भी हो जाए जीवन के खेल में तुम बस चलते रहना।

कोई भी इंसान बुरा नहीं होता हैं, वो वक़्त सही नहीं होता हैं।
अपने मेहनत के दम पर तुम अपना बुरा वक़्त बदलते रहना।

सब कुछ अच्छा है और सब कुछ जल्द ही अच्छा हो जाएगा।
तुम अपने मन में सकारात्मक भाव रखकर के ये सोचते रहना।

उम्र बस एक संख्या है, कोई 60 में 30 तो कोई 30 में 60।
तुम अपने हर अच्छे और बुरे अनुभवों को संजोकर के रहना।

बस सोचने से पूरा नहीं होगा कोई भी सपना और कोई लक्ष्य।
बस तुम गिरते संभलते हुए अपने लक्ष्य की और चलते रहना।

कोई आएगा और हाथ पकड़कर तुम्हें लक्ष्य तक पहुँचाएगा।
कभी भी ऐसा सोचने की भूल मत करना, आत्मनिर्भर रहना।

हाँ, ये सच है कि सफल हो जाने के बाद लोग आएँगे "अभि"।
उस सुनहरे पल को हर पल मेहनत की आग में जलते रहना।

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23 HOURS AGO

बचपन के वो दिन वो सारे खेल खिलौने याद आते हैं।
आपके साथ हुई एकाध मुलाक़ातें सनम याद आते हैं।

आपके इश्क़ में जो डूब गए थे एक अरसे पहले हम।
इस रूहानी इश्क़ की बारिश की बरसातें याद आते हैं।

आपके बिना तो सोचा भी नहीं था कि जी सकेंगे हम।
कि आप तो हमको उस गली में आते जाते याद आते हैं।

जो सोचा था अपने ख़्यालों में कई दफ़ा करेंगे आपसे।
जो हो न सकी आपसे कभी वो अधूरी बातें याद आते हैं।

बस आपसे बात करते करते ही यूँही बीत जाती थी जो।
कि मोहब्बत की वो प्यारी-प्यारी हसीं रातें याद आते हैं।

आपकी रूहानी इश्क़ के शबनमी बूँदों में जो अक्सर।
भींगते थे हम, रुत-ए-इश्क़ की वो बरसातें याद आते हैं।

बचपन में पास में कुछ भी न था पर दोस्ती थी "अभि"।
दोस्त के साथ की निःस्वार्थ ख़ुशी-सौगातें याद आते हैं।

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YESTERDAY AT 12:11

परिंदों की तरह रहना, जीवन धारा संग बहना।
जो भी दिल में आए मेरे साथी बेझिझक कहना।

किसी भी झूठ पर तुम कभी आश्रित मत रहना।
जीवन चलता जाएगा तुम आगे बढ़ते ही रहना।

टिप्पणी करने पे उसकी सकारात्मकता देखना।
उसकी बातों से सीख लेकर तुम सतत बहना।

जो कभी तुम्हारी ग़लती हो तो कोई बात नहीं।
पर अगर तुम सही रहो तो कभी भी मत सहना।

इस जीवन में कभी भी "कुछ भी हो सकता है"।
तुम हर घड़ी हर पहर इसके लिए तैयार रहना।

कोई पढ़ेगा वाहवाही करेगा इसलिए मत लिखो।
अपनी शांति के लिए "आजीवन लिखते रहना"।

इस मतलब की दुनिया में जो बेमतलब ही करें।
ऐसे प्यार करने वालों से ही दिल की बात कहना।

क़लम है शब्द है जज़्बात भी है पास में "अभि"।
बस अपनी लेखनी के संग आजीवन बहते रहना।

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YESTERDAY AT 9:46

भूलना अच्छा होता हैं, भूलने से "मन हल्का" लगने लगता हैं।
जीवन ऐसे तो भूल भुलैया है पर जीने से अच्छा लगने लगता हैं।

सोचो तो बस सोचते ही रह जाओगे और कुछ नहीं कर पाओगे।
लेकिन करने से ये सब कुछ बड़ा ही "आसान" लगने लगता हैं।

जीवन में आगे क्या होगा ये तो पता नहीं किसी को भी यहाँ पर।
पर प्रभु के इशारे पर ध्यान देने से हर व्यक्ति समझने लगता हैं।

जो कुछ भी हो रहा है सोची-समझी योजना के साथ हो रहा है।
ईश्वर पर सब कुछ छोड़ देने से व्यक्ति जीवन में ढलने लगता हैं।

कोई नहीं मरता है यहाँ पर चाहे बिन माँ-बाप का बच्चा ही हो।
ईश्वर के आशीर्वाद से वो भी यूँही बे माँ-बाप पलने लगता हैं।

बरसों हो गए हैं ईमानदारी के राह पर चलते हुए मुझको यारों।
रास्ता अनवरत है इसलिए थकके भी मुसाफ़िर चलने लगता हैं।

जिस दिन इस जीवन की सच्चाई को "अभि" पहचान जाते हो।
उसके बाद से ये जीवन आपके हिसाब से ही चलने लगता हैं।

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25 APR AT 21:26

आँसुओं से भीगी रात, तेरी याद में बीती रात।
तारे गिन-गिन कर ही जानम मेरी बीती रात।

दिल चाहता है अब करनी तुझसे मुलाक़ात।
दिल में अब भी दफ़न है मेरे ढेर सारी बात।

इश्क़ में खोकर के हो गए हैं खस्ता हालात।
मेरे काबू में न रहे मेरे इस दिल के जज़्बात।

उसका आना हो सकता है इश्क़ की सौगात।
तब तक आँखों से हो रही है गीली बरसात।

जब प्यार हो जाता हैं तब देखा नहीं जाता।
इश्क़ में अपने महबूब सनम की "औकात"।

कि इश्क़ जब हो जाता हैं किसी इंसान से।
मिलने लगते हैं उसके साथ अपने ख़्यालात।

बस एक ही ख़्वाहिश है मेरे दिल की "अभि"।
मरते दम तक हो "उसके हाथों में मेरा हाथ"।

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25 APR AT 17:09

दामन खाली है मेरा, खाली मेरे दिल के जज़्बात है।
कल तक जो मुकम्मल थे आज अधूरी वो बात है।

इश्क़ के जुमलों में तो अब दिखता ही नहीं मरहम।
बस काँच से हो गए इश्क़ की मौसम के सौगात है।

कि दोस्ती भी अब बस मतलब के लिए ही होती हैं।
दोस्त दोस्ती ये देखकर करते हैं कैसे तेरे हालात है।

अच्छे दिनों में सब लोग आकर मजलिश लगाते हैं।
बुरे दिनों में आकर देखकर चले जाते हैं औकात है।

दिल बड़ा और भरा हुआ होने से कोई फ़ायदा नहीं।
इनके लिए तो "जेब का भरा होना" ही बड़ी बात है।

वो बड़े है तो उनके सामने झुक कर ही रहना पड़ेगा।
उनके आगे-पीछे करने वालों को मिलती "खैरात" है।

मतलबपरस्त दुनिया में एहसानफ़रामोश ही रहते हैं।
उनके सामने हम सच्चे लोगों की क्या ही बिसात है।

तू तो ताउम्र "एकतन्हामुसाफ़िर" ही रह गया "अभि"।
क्या पता तुझपे मोहब्बत की कब होगी बरसात है।

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25 APR AT 12:40

मेरी पुरानी कविता जाने क्यों अब मुझे नई लगती हैं।
उसके लफ़्ज़ों की कारीगरी अब मुझे सुरमई लगती हैं।

माँ की बातें तो क्या ही कहूँ जैसे "इनायत" हो रब की।
सच बताऊँ तो माँ की ख़ामोशी भी ममतामई लगती हैं।

इश्क़ का असर जैसे धीरे-धीरे चढ़ने लगता हैं रगों में।
इश्क़ की हरकतें उफ्फ, हर एक पल जादुई लगती हैं।

जो भी होता हैं किसी न किसी मक़सद से ही होता हैं।
जिंदगी के हर मसले में मुझे ख़ुदा की ख़ुदाई लगती हैं।

अब "परेशानियों से परेशान" नहीं होता हूँ मैं मेरे यारों।
मुझे ये परेशानियाँ अब "हौसला अफ़जाई" लगती हैं।

बार-बार होकर भी कोई काम पूरा ही नहीं हो पाता है।
फिर भी लगा रहता हूँ मुझे ये रब की रूबाई लगती हैं।

आसपास का सबकुछ मुझे बड़ा अच्छा लगता हैं "अभि"।
क्योंकि ये पूरी दुनिया मेरे भगवान की बनाई लगती हैं।

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