QUOTES ON #मतवाला

#मतवाला quotes

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21 MAY 2017 AT 2:00

आवारा सा वो बादल
पानी भर कर उड़ रहा था
बरसना चाहता था
मतवाला होकर
चल रहा था
शायद मयख़ाने से आया था
दूर कहीं जाना था
किसी हसीन लबालब
नदी से मिलना चाहता था

उड़ते-चलते जा टकराया
उस निर्दोष चाँद से
जो खोया था
किसी के दीदार में

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19 JUL 2017 AT 10:27

और और की रट लगाता

जब जीवन 'रेस' बनाता जीनेवाला।

खुशियाँ पीछे रह जाती

आगे ढूंढता रहता वो मतवाला।।

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17 JAN 2019 AT 19:03

हम दिनभर मुस्कुराते हैं, कुछ दर्द छिपाने के लिए,
कुछ खुशियाँ भूल जाते हैं, खुशियाँ बचाने के लिए,
कायम है ये सदियों से, दस्तूर जमाने का "मतवाला",
कुछ ग़म नए मिलते हैं, कुछ पुराने भुलाने के लिए..!!

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14 SEP 2020 AT 10:56

मैंं रेगिस्तान का निवासी प्रिये
सूखाग्रस्त इलाका
तू वो पानी की बूंद प्रिये
जिसका मैंं मतवाला I

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31 JAN 2021 AT 2:00

अपनी अंधेरी घनी रातों का
उजाला समझ रहा था तुझे

मेरी हंसी, खुशी मुस्कुराहट का
रखवाला समझ रहा था तुझे

कुछ खट्टी-मीठी, कुछ तीखी नोकझोंक करेगा
ऐसा कोई मतवाला समझ रहा था तुझे

लूट कर ले गया मेरी हंसी, खुशी, सुख, चैन और सुकून
मैं तो सीधा साधा गांव वाला समझ रहा था तुझे

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15 MAY 2020 AT 3:44

'आग्रह'
"मदमस्त हुआ मेरा प्याला,
भर दी इसमें प्यारी हाला!
फूलों की परछाईं भी,
झाँका इसमें तूने बाला!
मेरा साक़ी तो बदनाम हुआ,
होठों से छुआ कहाँ प्याला!
तेरे नयन के तीरों से घायल,
मैं धराशायी हूँ मतवाला!
न जगाना मुझे इस निद्रा से,
आँखों में बसायी है ज्वाला!
जीवन में रस भर आए जभी,
हो जाओ तुम मेरी मधुशाला...."

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25 SEP 2018 AT 22:40

गुलज़ार करके गुलशन को,यूँ गुल सा खिला दिया,
अब ऐ खुदा जो तूने मुझे,है मुझसे मिला दिया..!!

कभी हर ख्वाब मेरा टूट कर,था फिर से बिखर गया,
इकतरफा प्यार का मुझको था,ये कैसा सिला दिया..!!

बस कदम-कदम पर काँटों के,बाजार मिले मुझको,
इतना बता क्या मैंने कभी,था तुझसे गिला किया..!!

मर ही जाता गम के मारे,हाल-ऐ-दिल ऐसा था कुछ,
वो तो मेरे सपनों ने मुझको,था फिर से जिला दिया..!!

है उससे अच्छी ग़ज़ल मेरी,मैं साथ इसी के जी लूंगा,
इक जाम ज़हर का घोल के,अब खुद को पिला दिया..!!

अब भरोसा कलम पे है,अब कागज़ का साथ निभाना है,
कुछ और बचा न "मतवाला",सबकुछ तो जला दिया..!!

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31 MAY 2017 AT 0:35

वो मतवाला बादल था एक दिन अपने हुज़ूम से कुछ यूँ ज़ुदा हुआ भटका यहाँ वहाँ कोई एक ठिकाना न उसे मिला प्यासा था खुद किसी को तृप्त करने वो निकल पड़ा दिखी जो प्यासी धरा सब्र उसका टूट गया धुएँ से वज़ूद था उसका धुआँ सा वो बिखर गया धरा को शीतल कर गया

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17 FEB 2022 AT 19:05

मैं लेखक मतवाला हूँ
पीता नहीं मैं हाला हूँ
बस इतनी सी कमजोरी है
सच को सच कहने वाला हूँ ।।— % &

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29 MAR 2020 AT 8:32

भूख को निवाला चाहिए
भूखे को भोजन कराऐ
धर्मप्राण ऐसा मतवाला चाहिए

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