Dr. Shelly Jaggi   (✍️…© डॉ शैली जग्गी)
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🎂23rd november
Joined 31 January 2020


🎂23rd november
Joined 31 January 2020
1 MAY AT 23:18

अधूरापन ही लाज़िम है ज़िन्दगी के लिए,
मुक़म्मल हो गए तो खाक़ में मिल जाएँगे!
ख़्वाहिशों सँग चलता रहे साँसो का सफ़र,
सब पा कर भी तो यहीं छोड़ जाएँगे....।

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18 JAN AT 1:49

यह गाथा संत सिपाही की...

(रचना अनुशीर्षक में)

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9 JUL 2023 AT 2:19

नशीले ख़्वाबों की जादूगरी में....
बस झूठे मंज़र गढ़ना था हमको!

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9 JUL 2023 AT 1:39

होठों पर हँसी, मग़र दिल में बेचैनी सी है!
कुछ गुनगुनाने को, तुम्हें सोचना लाज़मी है।

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14 JAN 2023 AT 9:59

मकर संक्रांति और हमारी आस्था

(रचना अनुशीर्षक में )

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6 JAN 2023 AT 22:53

ख़ुशियों को लंबी उम्र मिले,
झट आती है चली जाती क्यों!
फूलों जैसी फितरत इनकी,
खिलते ही जल्द मुरझाती क्यों!

ग़म के नासूर बरसों रहते,
ज़ख्मों पर चुभते नश्तर से!
एक दर्द बराबर रहता है,
बीते यादों के मर्ज़ तरह!

ऐ खुशियों अब तो रूठो ना,
इस बार ज़रा तो ठहर जाना!
देखेंगे राह तुम्हारी हर पल,
वादा करके न मुकर जाना!

एक आवाज़ गूँजती है अंदर,
क्यों बाहर इन्हें खोजते तुम!
ये तो रहतीं अंतर्मन में,
तुम इन्हें ढूँढते क्यों मृग सम!

सुख-दुख जीवन के दो पहलू,
रंग-वक्त बदल कर आते हैं!
कोई फूलों में कांटे पाते,
कोई ग़म में भी मुस्काते हैं…

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3 JAN 2023 AT 0:20

फूलों को देखते भी,
चुभन महसूसती है क्यूँ!
एक टीस सी उठती है,
ज़ुबाँ चाहती कुछ यूँ!
कुछ बीते दर्द और एक
अधूरापन सा ख़लता है!
सोच की लहरें उठ गिरतीं,
तूफान माँगती हैं क्यूँ....

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1 JAN 2023 AT 2:14

'नव वर्ष की नव बेला में'


(रचना अनुशीर्षक में)

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8 OCT 2022 AT 0:00

अजी सरफिरे से आशिक़ मालूम होते हो!
नफ़रत और मोहब्बत से परे क्या ढूंढ़ते हो!

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7 OCT 2022 AT 23:52

बीते लम्हों की खुशबू, तुम्हारी कस्तूरी सी यादें,
महका जाती हैं आज भी, वो नई-पुरानी बातें!

बारिश में थोड़ा भीगना, इक छतरी में दोनों का,
झूठे बहाने बनाना, जब-तब छीकों को रोकना!

आज भी सिहरन सी दौड़ती, है ख़याल में आते,
वह पहली छुअन सी, मदहोश सी मुलाक़ातें....!

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