एक साल तक
उस पुरुषार्थ ने,उसके स्त्रियत्व को
बेरहमी से रोंदा।
उसके बदन के हर हिस्से को,
मनमर्जी से कुचला।
उसकी मर्जी के खिलाफ!
न कोई रोक टोक,न कोई नोक झोक।
लेकिन मन के भीतर कितनी घायल!
अंदर ही अंदर करुण रुदन,
खूब हुआ स्त्रियत्व का बलात्कार,
उसकी मर्जी के खिलाफ!
क्यूँ हुआ ऐसा,क्यूँ न रोक पाई वो?
क्यूँ न किया उसने उसका बहिष्कार?
जो हुआ,
उसकी मर्जी के खिलाफ!
कारण सुनकर,
आंखे डबडबा जाएंगी।
कथित तौर पर व्याहता थी वो,
दूसरी शादी हुई थी उसकी,
उसकी मर्जी के खिलाफ!!!
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