तो बस मौन हो कर वहीं बैठ जाना और इंतज़ार करना मेरा जब तक कि मैं पढ़ न लूं तुम्हारे मौन को, भर न लूं तुम्हें अपनी बाहों में और छलक न जाने दूं मोती सागर से जिन पर लिखा होगा तेरे मौन का जवाब उसी सहज मौन रूप में जिसे सहेजते रहे हो अब तक अपने आंचल के कोरों में तुम..।