मां कबीर की साखी जैसी,
तुलसी की चौपाई सी,
मां मीरा की पदावली सी,
मां है ललित रूबाई सी,
मां आंगन की तुलसी जैसी,
बरगद की छाया सी,
मां कविता की सहज वेदना,
महाकाव्य की काया सी,
मां ममता का मानसरोवर,
हिमगिरि सा विश्वास है,
मां श्रद्धा की आदि शक्ति सी,
कावा है कैलाश है,
मां आषाढ़ की पहली बारिश,
सावन की पुरवाई सी,
मां वसन्त की कुसुम सी,
बगिया की अमराई सी,
मां धरती की हरी दूब सी,
मां केशर की क्यारी है,
पूरी सृष्टि निछावर जिस पर,
मां की छवि न्यारी है,
मां ममता की खान है,
कितना भी लिख दूं कम है मां के लिए,
बस यहीं कह सकती हूं
मां हमेशा साथ रहने वाली भगवान है..!!
:--स्तुति
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