Archana verma♥️   (©Archana verma)
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♥️♥️♥️
Joined 16 June 2020


♥️♥️♥️
Joined 16 June 2020
8 AUG 2023 AT 1:27

उन उदासियों का हिसाब ही क्या होगा
जो मात्र तुम्हारे कांधे के स्पर्श से ही दूर हो जाती हैं

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4 AUG 2023 AT 23:00

इंसान ठोकर वहां खाता है
जब खुद से ज्यादा गैरों पर ऐतबार कर लेता है

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3 AUG 2023 AT 23:28

मेरा अनुबंध उस उदासी से है तुम्हारी
जो मुस्कान के पिछे छुपी होती है तुम्हारी

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15 MAY 2023 AT 0:14

तुम स्त्री बनकर स्त्री की मर्यादा
हर एक स्त्री के लिए निभा सको
बस इतनी स्त्री ही तो बनना है तुम्हें

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24 APR 2023 AT 12:52

यदि दूसरों के नजरियों से
फ़र्क पड़ने लगेगा तुम्हें
तो फ़िर अपनी हक़ीक़त से
कैसे रूबरू हो सकोगें तुम ?

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20 APR 2023 AT 22:57

कोई विकल्प नहीं है
उदासियों को भरने का तुम्हारी
अगर खुद से नाखुश हो तुम

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18 APR 2023 AT 11:56

गहरे सन्नाटों में खोए रहते हैं
ये असली जज्ज़बात अपने
क्योंकि कभी हम ख़ुद में
तो कभी गैरों में उलझे रहते हैं

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6 JAN 2023 AT 23:34

उनका झूठ बोलना भी तो
औपचारिकता ही लगता हमें

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3 DEC 2022 AT 15:08

अकेले अक्सर वही लोग रह जाते हैं
जिनकी कहानियां अधूरी रह जाती हैं

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24 NOV 2022 AT 23:33

प्रेम अपने साथ हमेशा
कोमलता लेकर नहीं आता है
प्रेम के साथ कुछ खुरदुरे
एहसास भी दबे पांव चले आते हैं

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