स्याही और शब्दों संग मित्रता करने लगे हैं,
अपने जज़्बात पन्नों संग साझा करने लगे हैं।।
अलग ही मज़ा है इस साझेपन का,
इक नई दुनिया के विस्तार में सहयोग करने का।।
कलम की गुदगुदी से,
अब तो पन्ने भी खिलखिला उठते हैं,
अपने अंदर की खुशी और गम दोनों को उन संग बाँटने लगे हैं।।
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