एक मैं हूं जो दुनियां भुलाए बैठा हूं,एक तू है मोहन, जो गले से लगाता ही नहीं। -
एक मैं हूं जो दुनियां भुलाए बैठा हूं,एक तू है मोहन, जो गले से लगाता ही नहीं।
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मैं जब जब दिल का गम सम्भाल नहीं पाया,तब तब मेरे कलम से सियाही निकल आयी। -
मैं जब जब दिल का गम सम्भाल नहीं पाया,तब तब मेरे कलम से सियाही निकल आयी।
तेरे बस्ती के हर गली से वाकिफ़ हैं, हम अपने शहर में मुसाफिरों से रहतें हैं। -
तेरे बस्ती के हर गली से वाकिफ़ हैं, हम अपने शहर में मुसाफिरों से रहतें हैं।
मोहब्बत उनको होने ही वाली थी हमसे, की अचानक मेरी नींद खुल गई। -
मोहब्बत उनको होने ही वाली थी हमसे, की अचानक मेरी नींद खुल गई।
कभी फुर्सत मिले तो हमरा भी सोचना, हम रोते हैं तुम्हारे लिए, वक़्त निकाल के। -
कभी फुर्सत मिले तो हमरा भी सोचना, हम रोते हैं तुम्हारे लिए, वक़्त निकाल के।
तेरी शिकायत करूं भी तो किससे करूं, हर एक को छोड़ कर तुझे गले लगाया था। -
तेरी शिकायत करूं भी तो किससे करूं, हर एक को छोड़ कर तुझे गले लगाया था।
हमनें अपने जज़्बातों को नज़र-अंदाज़ होते देखा हैं, हम भी उनके शहर से बिन मिले लौट जायेंगे। -
हमनें अपने जज़्बातों को नज़र-अंदाज़ होते देखा हैं, हम भी उनके शहर से बिन मिले लौट जायेंगे।
ऐसा नहीं हैं की उस रात महज़ बादलें ही बरसीं थीं,सुबह देखा तो सिरहाना मेरा भी गिला था। -
ऐसा नहीं हैं की उस रात महज़ बादलें ही बरसीं थीं,सुबह देखा तो सिरहाना मेरा भी गिला था।
मैं कहने ही वाला था की मेरी तबियत ख़राब हैं,और आज ही वो थैला भर के ज़ख्म लाई हैं। -
मैं कहने ही वाला था की मेरी तबियत ख़राब हैं,और आज ही वो थैला भर के ज़ख्म लाई हैं।
वफ़ा की उम्मीद तो हमें हैं भी नहीं, कम से कम वफ़ा की बातें तो मत करो। -
वफ़ा की उम्मीद तो हमें हैं भी नहीं, कम से कम वफ़ा की बातें तो मत करो।