Abhinay (राज़)   (✍🏻अभिनय)
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आए हो? आओ ना...
गुलाब हुँ मैं, चुम्ब कर जाओ न।
Joined 15 November 2017


आए हो? आओ ना...
गुलाब हुँ मैं, चुम्ब कर जाओ न।
Joined 15 November 2017
18 JAN 2022 AT 15:59

एक मैं हूं जो दुनियां भुलाए बैठा हूं,
एक तू है मोहन, जो गले से लगाता ही नहीं।

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14 JAN 2022 AT 11:39

मैं जब जब दिल का गम सम्भाल नहीं पाया,
तब तब मेरे कलम से सियाही निकल आयी।

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11 DEC 2021 AT 8:02

तेरे बस्ती के हर गली से वाकिफ़ हैं,
हम अपने शहर में मुसाफिरों से रहतें हैं।

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9 DEC 2021 AT 14:30

मोहब्बत उनको होने ही वाली थी हमसे,
की अचानक मेरी नींद खुल गई।

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9 DEC 2021 AT 1:42

कभी फुर्सत मिले तो हमरा भी सोचना,
हम रोते हैं तुम्हारे लिए, वक़्त निकाल के।

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8 DEC 2021 AT 23:53

तेरी शिकायत करूं भी तो किससे करूं,
हर एक को छोड़ कर तुझे गले लगाया था।

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8 DEC 2021 AT 23:06

हमनें अपने जज़्बातों को नज़र-अंदाज़ होते देखा हैं,
हम भी उनके शहर से बिन मिले लौट जायेंगे।

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8 DEC 2021 AT 2:01

ऐसा नहीं हैं की उस रात महज़ बादलें ही बरसीं थीं,
सुबह देखा तो सिरहाना मेरा भी गिला था।

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1 DEC 2021 AT 20:50

मैं कहने ही वाला था की मेरी तबियत ख़राब हैं,
और आज ही वो थैला भर के ज़ख्म लाई हैं।

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1 DEC 2021 AT 12:27

वफ़ा की उम्मीद तो हमें हैं भी नहीं,
कम से कम वफ़ा की बातें तो मत करो।

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