Rohit Nautiyal   (आर "एकाकी पथिक" नौटियाल)
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Joined 2 March 2017


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1 MAR 2020 AT 21:01

कुछ यूं तेरी मुस्कुराहट का जादू हुआ है,
मानों जयेष्ठ की गर्मी को सावन ने छुआ है।

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29 FEB 2020 AT 20:03

हर इक दिन को ढलना ही पड़ता है,
इक खूबसूरत शाम के इंतजार में,

यही तो ज़िंदगी है, 'पथिक'

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13 JAN 2020 AT 0:05

कुछ तो बात है, तेरे इश्क़ में,

"एकाकी"

कुछ ना होकर भी, सब कुछ है।

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13 NOV 2019 AT 3:17

धूल से सनी कहानियों को अब भी पूरा होने का इंतज़ार है,

ज़िन्दगी की आकांक्षाओं को पूरा करते करते, जो अधूरी रह गईं।

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15 SEP 2019 AT 2:25

सोच रहा हूं, इंसान ना होकर पक्षी हो जाऊं,
इस अथाह नील गगन में गोते खाऊं,

ना सीमाओं की बंदिशें हों,
ना ही आज़ादी के पैमाने हों,
सिर्फ खुला गहरा आसमां, और मेरी उड़ान हो,

सोच रहा हूं पक्षी हो जाऊं,
इस बहती हवा में घुल मिल जाऊं।

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6 APR 2019 AT 20:29


25 MAR 2019 AT 13:20

किताब के पन्नों में एक राज़ दबाया था,
मां से बचकर हमने, खत तुम्हारा वहीं छिपाया था,

हिम्मत नहीं हुई, उस वक्त इज़हार करने की,
कभी देखा है मोहब्बत को, मोहब्बत से, मोहब्बत करते हुए।

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22 FEB 2019 AT 14:57

कुछ यूं ज़िंदगी का फलसफा "एकाकी पथिक" जी गया,

सामने खूबसूरती बह निकली, और वक़्त "काम" पर थम गया।

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7 FEB 2019 AT 12:47

ज़िक्र तेरे गुलाब का,
कुछ यूं महफ़िल में आया,

बरसों पड़ी सूखी धरती ने,
जैसे बारिश की पहली बूंद को पाया।

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5 FEB 2019 AT 13:24

"एक प्यार सुकून भरा"

बाहर तेज़ बारिश की आवाज़ ऐसी लग रही थी मानो सागर की लहरें साहिल से टकराकर उसे जगा रही हो। इस सब के बावजूद, कुछ अलग ही शांत माहौल था अंदर, एकदम सुकून भरा।

(शेष अनुशीर्षक में)

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