पढ़ने की कोशिश की जब,
चेहरे की बेरुखी समझने से मोहोलत ना मिली।
परीक्षाएं होती रही ज़िन्दगी की जिंदगीभर,
इश्क़ से आगे लिखने की मुझे फुर्सत ना मिली।
ये सिसकियां जब शोर बनाने लगी,
उफ्फ्फ करने की इजाजत ना मिली।
तुम चैन से चली जाना किसी और के घर,
वक़्त रहते हमें ये सरकारी नौकरी ना मिली।
-Prashant sameer— % &क्यों तुम्हे इतना चाहे हम,
की तकलीफ़ बढ़ जाए।
तुम चली जाओ किसी और के घर
और हम तेरे होकर रह जाए।
क्यों तुम्हे वो इबादत करने दे,
जिसमे किसी गैर के होने की आहट आए।
हम अब भी जिंदा हैं तेरी मोहब्बत बनकर,
तुम ही बताओ इस मोहब्बत को कहाँ छोड़ आए।
इतने बड़े दिल का मालिक नही हूँ मैं,
की तुम्हे खो कर भी इस दिल सकून आ जाए।
परेशान करने लगे हो गर हम तो कह देना मुझसे,
कोशिश ये करूँगा कि साँस लिए बिना ही मर जाए।
-Prashant Sameer— % &Day कितना भी मना लो आप,
Night तो कोई और मनाएगा।
बात आई अगर साथ निभाने की,
तो प्यार यकीनन तेरे हक़ में होगा,
लेकिन,annual income देखा जाएगा।
ये कुछ वो हक़ीक़त है जो,
गुज़रते वक़्त के साथ नज़र आएगा।
जीने के लिए बस मोहब्बत ही काफी नही,
ख़्वाबों से परे ये हक़ीक़त,
एकदिन आपको भी समझ आएगा।
हम कैसे संभाले इस मोहब्बत को,
जो बदलते वक्त के साथ,
नए चेहरों से मुखातिब कराएगा।
हम तो खड़े रह जाएंगे वहीं के वहीं
और सामनेवाला किरदार बदल जायेगा।— % &
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