यह कैसी बेबसी है इस समाज की
जो रिश्ते दिल से निभाए जाते थे,
आज उसमें अकेलापन है
दरियादिली तो है पर खोया उसमें अपनापन है,
ना जाने कब उस रिश्ते की कद्र समझ आएगी,
जब तक समझ आएगी तबतक बहुत देर हो जायेगी।
ना जाने यह मनुष्य क्यों बनने में लगा है अत्यधिक संपन्न,
क्या मिल जाएगा उस इससे खोया हुआ अपनापन?
यह कैसी बेबसी है!!
यह कैसी बेबसी है!!
@baibhav
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