जहाँ चाँद हो पर,
रोशनी नहीं।
जहाँ काले बादल बरसों,
इंतज़ार करते हो बरसने का।
जहाँ सूर्य सिर्फ सूर्यास्त,
के समय नज़र आता हो।
जहाँ नदियाँ ठहर कर,
भूल गयी हों बहना।
जहाँ पक्षी आकाश छोड़कर,
केवल डाल पर नज़र आएं।
जहाँ फूल मुरझाकर भी,
ना गिर पाएं शाख से।
और घास सारी,
नीली पड़ गयी हो।
यदि मिले तुम्हें कोई,
ऐसा भूभाग,
तुम समझ जाना,
वह उदास प्रेमिकाओं की,
बस्ती है।
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