यु राह-ऐ-वफ़ा की सलीब पर, दो कदम उठाने का शुक्रिया ।।
बड़ा पुर कदर था ये रास्ता, तेरे लौट जाने का शुक्रिया ।।
है ज़माने भर का असूल जो, वोह असूल तूने निभा दिया ।।
यही रस्म ठहरेगी मोतबर, मुझे भूल जाने का शुक्रिया ।।
आज दिल खोल के रोएँ है ऐसे, मुझे रुलाने का शुक्रिया ।।
मुझे खस्ता-हाल देख कर, तेरे होठ फूल से खिल उठे,
मुझे गम नहीं मुझे देखकर, तेरे मुस्कुराने का शुक्रिया ।।
यु रह-ऐ-वफ़ा की सलीब पर, दो कदम उठाने का शुक्रिया ।।
बड़ा पुर कदर था ये रास्ता, तेरे लौट जाने का शुक्रिया...
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