नियति की सोचपर भी रहती,नीयत तुम्हारी भारी है।
चाहो तो दुश्मन कर लो, चाहो तो दुनिया तुम्हारी है।।
छल लेंगे नकारत्मक सोच के हल, हल आसान भी।
मनुस्मृति कहे, नकारात्मक सोच भी एक बीमारी है।।
हवा को समझ आते नहीं फूल,पानी नहीं सुनते शब्द।
बु'ओं से दिशा गमकें, भावों से बनी गंगा हमारी है।।
नकारात्मकता से दूर रहो न इंद्रियों से मजबूर रहो।
भली सोचकी मस्तक-वीणा करती,ब्रह्मांड-सवारी है।।
जिस मन आधिपत्य किया करती है सहृदय-प्रकृति।
सकारात्मकता के पतवारों ने, नैया उसकी तारी है।।
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