PRIYANKA CHANDRA  
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Joined 22 July 2020


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11 JUL AT 13:30

मैं लेखिका..मेरी कविताओं में हर एक मौसम का ठहराव है,
मैं यूं बस वरक़ पर सिफ़त सावन के लिख सकती नहीं।।

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10 JUL AT 10:35

बाअदब मैं भीग जाना चाहती हूं तेरे इश्क़ की बारिशों में,
तू अब आ सनम संग अपनी नज़रों का बादल लेकर।।

तेरी संजीदगी ने हमें पहले से ही बेचैन सावन सा किया है,
तू अब छा सनम मुझ पर मेरी अंबकों का काजल लेकर।।

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8 JUL AT 7:54

उनींदी से भरी आंखों में रास्तों के नियात ना मिले
सफ़र मिला मुझे लेकिन उससे ख़्यालात ना मिले।।

जीवन की उलझी मृगतृष्णाओं में मैं जी लेती मगर
मन को मोहलत ना मिली, हृदय को हालात ना मिले।।

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7 JUL AT 15:38

मेरे लिए प्रेम की परिभाषा
और अर्थ बस इतना ही है
कि मैं तुम्हारे नाम के इन
एड़ियों पर लगे हुए लाल
अलक्तक से लेकर मांग में
सजे हुए सिंदूर के साथ साथ
जिम्मेदारियों के इत्र से भी
सदा यूं ही महकती रहूं।।

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4 JUL AT 14:37

इस बेमियादी मौसिम की मैं चाह करूं भी तो भला अब कैसे करूं,
मुझे उसका आना गवारा है मगर उसका भीग जाना गवारा नहीं।।

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3 JUL AT 13:09

जब बसंत हो रूठा मुझसे,ऐसे में बहारें कहां से लाऊं
मैं रोज़ खुद को ही छलने वाली,मयारें कहां से लाऊं।।

मैं भूल बैठी हूं नज़्म सब,अश्कों से भरी हुई बज़्म में
वरक़ भींगोने वाला स्याही के फव्वारे कहां से लाऊं।।

असरार-ए-हस्ती मेरी मकां के ओसारे में तड़पती है
जहां सुनें सिसकियां,दीवारों में दरारें कहां से लाऊं।।

मरने की ज़िद्द थी लेकिन सांसों ने मुझे मरने न दिया
बिसरी धड़कनों के लिए, मैं इख्तियारें कहां से लाऊं।।

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2 JUL AT 14:32

अनुशीर्षक....✍🏻

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1 JUL AT 23:05

मैं ये कभी नहीं कह सकती कि
मेरी पहली और आखिरी मोहब्बत
हो तुम, बल्कि हम दोनों के मध्य
संचारित वो समग्र यादें जो हमें भूत,
वर्तमान और भविष्य से जुड़े हुए है,
मेरी पहली और आखिरी मोहब्बत है।।

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30 JUN AT 23:41

आखिर किस पर यकीन करूं मैं अपना हाल जानने के लिए
तेरी नज़रें कुछ और बोलती हैं,आईना कुछ और है बोलता।।

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28 JUN AT 0:02

अपराध.....✍🏻

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