आज नियति ने मेरी जिन्दगी से उसकी जिन्दगी छिन ली , इस बार मै चाह कर भी , कुछ नही कर सकती क्यूकि शायद रब को भी वही जिन्दगी प्यारी है , जो मेरी जिन्दगी को जान से भी ज्यादा प्यारी है...🥺
आम नही, खास सी है। बात साँस की है। दिन ढले बेचैनी सी होती है। करवाते बदल बदल के वो सोती है। कुछ गले मे फस गया, ऐसी टिस होती है। साँस ना आने पर वो खूब रोती है। रीढ़ की हड्डी भी साथ छोड़ देती है। यह अस्थमा नासूर जैसी चीज होती है। एक तलक inhaler का सहारा है। उसके एक अश्क़ के बाद हर सपना प्यारा है।