दिल तोड़ा और इलज़ाम लगाए,
परदेसी थे वो, लौट के घर ना आए,
रोक भी लेती तो रोता शायद,
तो वो जाते रहे ,हम रोक भी ना पाए,
तोड़ गए सब कसमे वादे,
उलझे अब तक,हम जी ना पाए,
सोचा था हर पल रोऊंगी,
पर हसना था जो,सो रो ना पाए,
लिखने को तो लिख दूं सब मै,
वो पढ़ता भी ना है, सो लिख ना पाए,
दिल तोड़ा और इलज़ाम लगाए,
परदेसी थे वो, लौट के घर ना आए।।
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