बस इसी डर से नही सीखा शतरंज खेलनाअपनो को मारने का हुनर आ जाता है ख़ुद की जीत के लिए -
बस इसी डर से नही सीखा शतरंज खेलनाअपनो को मारने का हुनर आ जाता है ख़ुद की जीत के लिए
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हर शख़्स मे बुराई नज़र आती है उसेऔर ख़ुद को पारसा समझता हैचोर है, फ़ासिक है, ख़्यानती है, ज़ालिम है,लेकिन ख़ुद को शरीफ़ समझता है।आईना दे उसे कोई, तो वह सच देखेवह अब अपने नक़ाब को हीअपना असली चहरा समझता है। -
हर शख़्स मे बुराई नज़र आती है उसेऔर ख़ुद को पारसा समझता हैचोर है, फ़ासिक है, ख़्यानती है, ज़ालिम है,लेकिन ख़ुद को शरीफ़ समझता है।आईना दे उसे कोई, तो वह सच देखेवह अब अपने नक़ाब को हीअपना असली चहरा समझता है।
किस काम तेरा शजरा जो कही तेरे ख़ून मे नहीहम कोई ज़ात सही, अहले क़िरदार तो हैं -
किस काम तेरा शजरा जो कही तेरे ख़ून मे नहीहम कोई ज़ात सही, अहले क़िरदार तो हैं
तुझे उम्र लगेगी मेरा अंदाज़ समझने मेमेरे लिबास पर मेरे क़िरदार का क़लफ़ रहता है -
तुझे उम्र लगेगी मेरा अंदाज़ समझने मेमेरे लिबास पर मेरे क़िरदार का क़लफ़ रहता है
शहद टपकाता है ज़बा से इस क़दरउसकी गंदी ज़हनियत छिप जाती हैहटाए भी नक़ाब तो केसे, आख़िर मजबूरी हैहटाए भी नक़ाब तो केसे, आख़िर मजबूरी हैबदकारी उसके चहरे पर नज़र आती हैशराफत के लिबास से ढकता है गुनाह अपने बहुत,फिर भी,ओक़ात उसकी उसके क़िरदार से नज़र आती है। -
शहद टपकाता है ज़बा से इस क़दरउसकी गंदी ज़हनियत छिप जाती हैहटाए भी नक़ाब तो केसे, आख़िर मजबूरी हैहटाए भी नक़ाब तो केसे, आख़िर मजबूरी हैबदकारी उसके चहरे पर नज़र आती हैशराफत के लिबास से ढकता है गुनाह अपने बहुत,फिर भी,ओक़ात उसकी उसके क़िरदार से नज़र आती है।
हर शख़्स मशवरा देता है, नक़ाब लगाया करो ग़म चाहे कितने भी हों मुस्कुराया करो -
हर शख़्स मशवरा देता है, नक़ाब लगाया करो ग़म चाहे कितने भी हों मुस्कुराया करो
ज़बान तो मीठी है बहुत, ज़हन मे ज़हर भरा पडा हैशराफ़त बस दिखावे कि, ज़मीर मुर्दा पडा है।ख़ुशफ़हमियों ने बिगाड दी नसले कई ऊँचे ख़ानदान का ग़रूर इंसानियत से बड़ा हैउन्हे ख़ोफ़े ख़ुदा नही, ज़रा संभलकर रहनावो ज़्यादा देगा धोखे तुम्हें जो शक़्स शजरों के पीछे खडा है। -
ज़बान तो मीठी है बहुत, ज़हन मे ज़हर भरा पडा हैशराफ़त बस दिखावे कि, ज़मीर मुर्दा पडा है।ख़ुशफ़हमियों ने बिगाड दी नसले कई ऊँचे ख़ानदान का ग़रूर इंसानियत से बड़ा हैउन्हे ख़ोफ़े ख़ुदा नही, ज़रा संभलकर रहनावो ज़्यादा देगा धोखे तुम्हें जो शक़्स शजरों के पीछे खडा है।
शराफ़त छोड़ कर हमे जीना नहीं आतालड़ना आता है, मगर अपने मायर से गिर कर लड़ना नहीं आताकमीनेपन के सारे हुनर तो बस एक तेरे पास हैहमे तो अपनी ज़मीर तक बेचना नहीं आतातवायफ़ मे और तुझ मे फ़र्क है बहुतउसे पता है उसूल किया है,और तुझे ख़यानत के सिवा कुछ नहीं आताहम कोई ज़ात सही, ख़ोफे ख़ुदा तो रखते हैकिस काम का तेरा शजरा जो कही तेरे क़िरदार मे नज़र नही आतातू जिसे जीत समझता है में उसे ज़िल्लत मानता हूं।शायद मुझे दुनिया समझ नहीं आतीऔर आख़िरत किया है यह तुझे समझ नहीं आता -
शराफ़त छोड़ कर हमे जीना नहीं आतालड़ना आता है, मगर अपने मायर से गिर कर लड़ना नहीं आताकमीनेपन के सारे हुनर तो बस एक तेरे पास हैहमे तो अपनी ज़मीर तक बेचना नहीं आतातवायफ़ मे और तुझ मे फ़र्क है बहुतउसे पता है उसूल किया है,और तुझे ख़यानत के सिवा कुछ नहीं आताहम कोई ज़ात सही, ख़ोफे ख़ुदा तो रखते हैकिस काम का तेरा शजरा जो कही तेरे क़िरदार मे नज़र नही आतातू जिसे जीत समझता है में उसे ज़िल्लत मानता हूं।शायद मुझे दुनिया समझ नहीं आतीऔर आख़िरत किया है यह तुझे समझ नहीं आता
जो अहले बेत है, तो अपने क़िरदार से नज़र आ!!!कब तक हराम करके शजरो की दुहाई देगा -
जो अहले बेत है, तो अपने क़िरदार से नज़र आ!!!कब तक हराम करके शजरो की दुहाई देगा
Hypocrite People are more dangerous than Fascists...! -
Hypocrite People are more dangerous than Fascists...!