ज्ञान की एक देवी हैं, जिसके आगे हम शीश नवाते हैं जिसका कभी निरादर नही करना चाहिए, प्राचीन से आधुनिक काल तक शिक्षा समाज की सर्वप्रथम ज्ञानी ज्ञाता हैं।। विधाता भी इनको नमन कर शीष नवाते हैं।। बुजुर्गों का तजुर्बा हैं शिक्षा।। नोजवानो की खोज हैं शिक्षा।। बालको के खेल खुद में हैं शिक्षा।। शिक्षा की कई शाखा हैं ओर ये शाखायें जड़े ही मजबूत कर सकती हैं।।