YQ Reader   (प्रिyaम्vaदा💫)
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Joined 30 August 2018


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29 JUL 2019 AT 15:14

अंधेरा कब तक जीतेगा
दिलों को रौशन-ए-चराग़ कर दो
सफर लम्बा है नम रातों का
रूह की आग बेहिसाब कर दो

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29 JUL 2019 AT 14:50

इतनी हैरानी से तुम पूछते हो
अरसे से मेरी कलम खामोश क्यूँ है
कुछ धुंधले से अल्फाज़ लिखती हूँ आजकल
गर पढ़ सको तो पढ़ लो

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25 JUN 2019 AT 18:14

ज़िन्दगी जब थोड़ी धीरे चलने लगी
कुछ बारीकियाँ इसकी पता चलने लगी
बेतरतीब जो चीज़ें कब से पड़ी थीं
सुकून से सहेज कर मैं उनसे मिलने लगी
मंज़िल की तालाश आज भी जारी है मगर
रास्तों के साथ बैठकर मैं भी मुस्कराने लगी
पक्की सड़के ना सही पगडंडियाँ ही हैं चलने को मगर
मैं भी इस ठहराव को ख़ुदमें महसूस करने लगी

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16 JUN 2019 AT 0:39

हर वक्त खुद को ऊँचा और दूसरों को नीचा दिखाने की होड़ है
पूछो कभी तो कहते हैं, पढ़ाई चल रही है

सभी तो अंधे और बहरे हैं यहाँ
फिर मेरे शहर में किसकी बादशाही चल रही है

क्यूँ सरेआम ये दर्द की नुमाइश चल रही है
आज फिर किस केस की सुनवाई चल रही है

ना जाने किसकी किससे कौन सी लड़ाई चल रही है
लगता है लोगों के बाजार में इंसानियत की महंगाई चल रही है

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16 MAY 2019 AT 14:40


कोई ढ़ूढ़ो मुझे गर ढ़ूढ़ पाओ तो
मेरा चेहरा भी अब सबके जैसा लगता है
ये कैसी हवा चली इधर से की
सब बिखरा-बिखरा लगता है
टूटा हूँ मैं इस हद तक
दिल टुकड़ों में अब धड़कता है
हरियाली कल तक थी जहाँ पर
अब बंजर सेहरा लगता है
क्या यही थे वो मेरे सपने
आँखें मूँदू सब धुँधला मंजर लगता है
माँ ने बोला था तू भी एक दिन पापा जैसे हो जाएगा
क्यूँ आज मुझे मेरा बचपन भी इक सपना सा लगता है

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15 MAY 2019 AT 23:01

मैं पत्थर काट कर रास्ता बनाता रहा
वो दिये जला कर उसे अपना बताता रहा

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15 MAY 2019 AT 9:55

बड़ा ही प्यार था उसे बारिश से
ता-उम्र उसकी आँखें बरसती ही रहीं

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15 MAY 2019 AT 9:29

आज शहर में सब खूब नाचे बारिश में
गाँव में किसान फिर रोया फसल बर्बाद होने पर

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7 MAY 2019 AT 10:12

The salient
things in life
Can't be
learned or taught

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6 MAY 2019 AT 8:52

Love is complete blissfulness

But if you get hurt in love

then examine it carefully

may be it's

attachment & dependency

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