Yokeshi Prithak   (पृथक "कल आज और कल")
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Joined 16 February 2019


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26 AUG 2022 AT 22:32

कल मैं राशन की दुकान पर कुछ काम से खड़ा था, तभी मैंने देखा एक लड़की हाथ में ₹10 का नोट और एक छोटी सी प्लास्टिक की बोतल लिए आती है, और ............

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26 AUG 2022 AT 22:03

कल एक स्वप्न देखा,
विदीर्ण कर देने वाला,
पर कदाचित आवश्यक।

कहते हैं, कि पिता प्रेम दिखाते नही, बस करते हैं।
पूरा पढ़िए
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21 AUG 2022 AT 23:48

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चलो चलते हैं कहीं दूर बसाते हैं एक नया शहर जहां हो ऐसी ही एक गली।

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21 AUG 2022 AT 23:40

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जब तक कि इच्छाओं को जीते जी संयम की डोर से बांध कर तेज बहाव वाली किसी नदी में बहा नहीं दिया गया।

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5 AUG 2022 AT 7:09

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हृदय कूप सूखता जाता है
और सब और मोन छाया है
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23 JUL 2022 AT 22:34

एक टूटे मन को
एक पीड़ित आत्मा ही
पुनः सवार सकती है।

मुझे भी ऐसे ही किसी चमत्कार की अपेक्षा है।

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23 JUL 2022 AT 22:19

अधरों पर साहस है
पर काया शिथिल है

लौट जाओ, अपनों के पास
इस प्रकार प्रेम नही किया जाता।

मैं यही रहूंगा, प्रतीक्षा में,
तुम आना, जागृत कर विश्वास,
उसके पश्चात जो होगा,
वो प्रेम की परिभाषा बदल देगा।

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23 JUL 2022 AT 21:58

तेरी स्मृतियों की शैय्या है
तेरे वचनों के स्वप्न अपार

तेरे केशो से ढलती संध्या है
दिन प्रकाशित करते अलंकार

तुम्हारा मौन चांद की शीतलता
तारो की टिमटिम है मुखर

तुम ही अखंड प्रचंड विरह
तुम ही प्रिय प्रीत विहार

हर क्षण मेरे समीप हो
हर स्वास मेरी बस्ती हो

तुम थी तो बस तुम थी
तुम नही तो भी तुम हो।

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23 JUL 2022 AT 21:50

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ये प्रेम की विडंबना नहीं तो और क्या है?

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29 JUN 2022 AT 23:18

अकेले व्यक्ति को रात्रि अधिक प्रिय होती है,
मृत्यु भी अधिकांश रात में ही आती है,

किसी से मिलने, पर मृत्यु शापित है
जिसे छूती है फिर अपना ही बना लेती है,
ऐसे की,
फिर उसका अपना और कोई नही रहता।

फिर भी, अपने अंतिम समय में, अपनो से घिर कर भी,
भीगती आंखो से बरसती विशुद्ध प्रेम की वर्षा के मध्य भी , कोई मनुष्य मृत्यु ही ढूंढता है। शीघ्र और शांत।

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