COMMUNICATION-GAP
लबों पे आके ठहर गई, बातें कुछ अनकही सी,
ज़िद थी इस बार, शुरुआत वो करे।
आंखे दर्द बयां कर रही थी,पर दिल ज़िद पे अडा था,
वो रूठा था किसी बात पे,और वो अडी थी अपने सम्मान पे।
खता थी न दोनों की,फिर भी खफा दोनों थे,
एक को खोने का डर था,दूजे की वफा पे प्रश्न था।
वो प्रेम की गहराई उसकी जाने,
वो अपना प्रेम उसी को माने,
फिर कैसी ज़िद पे दोनों अडे है,
साथ होके क्यों अलग खड़े हैं।
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