चिन्तनो का दौर वो,
धड़कनों का शोर वो,
कह रहा चले चलो,
चाहे हो डर भी वो|
वक़्त हो ये जैसा भी,
दौर होगा तेरा ही,
कह रहा चले चलो,
चाहे हो विलम्भ वो|
दर्द भी हो ताज़ा वो,
ज़ख्म भी हो गेहरा वो,
कह रहा चले चलो,
चाहे हो सितम कोई|
दोड़ सा ये दौर है,
सोचलो रूको ज़रा,
कह रहा चले चलो,
चाहे हो हार भी||
-