Writer Sahiba   (arshpreet_writes)
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कहते है लोग,
कोरा कागज़ हूँ मैं,
कैसे बताऊं?
गहरा राज़ हूँ मैं!
💭
Joined 6 April 2019


कहते है लोग,
कोरा कागज़ हूँ मैं,
कैसे बताऊं?
गहरा राज़ हूँ मैं!
💭
Joined 6 April 2019
11 MAY 2021 AT 21:38

अगर मैं तुम होती
तो तुम सी कभी ना होती।

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3 MAY 2021 AT 0:10

महामारी ये ऐसी आई, मानो नाराज़ हमसे ख़ुदा हुआ
असल पीड़ा वही जाने
जिनका अपना उनसे जुदा हुआ।

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17 APR 2021 AT 23:40

एक रात चाँद संग तुम भी आ जाना
साथ अपने तारों की बारात ले आना
मैं घूँघट ओढे आकाश-गंगा चाँदनी सी महका दूंगी
तुम ज़मी पर उतर कर इश्क़-ए-मिसाल दे जाना!

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16 APR 2021 AT 22:02

कितनी बार कहा है
बेवजह रूठा मत करो तुम
यू तो कोई शिक़वा नही तुमसे
पर वादा झूठा मत करो तुम।
बेशक़ तुम जान हो हमारी
पर जान!
जान-बूझकर कर लुटा मत करो तुम!

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15 APR 2021 AT 21:36

सुन आज हमारी आहट, वो दूर से मुंह मोड़ गए
दोष भी क्या दे उन्हें, कसूर तो हमारा था
हम चाँद के इश्क़ में, तारे का दिल जो तोड़ गए!

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15 APR 2021 AT 0:37

बाँधी थी जिसके लिए हर मन्नत की डोर
तोड़ उसे, यू ही कही और जोड़ दी?
पा नही सके उन्हें, कहते हो एक ओर,
कोशिश एक नही की, और उम्मीद छोड़ दी?

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14 APR 2021 AT 18:14

कोन कहता है कि अकेले है हम,
तन्हाईयो से पुछो ज़रा हमारा पता।

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14 APR 2021 AT 10:23

ऐ ख़ुदा कुछ ऐसा कर
कि पल भर में रात हो जाए।
सवेरे सवेरे हमारी
चाँद से मुलाक़ात हो जाए।

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14 APR 2021 AT 0:02

कि आज फ़िर मुलाक़ात हुई ख़्वाब में उनसे
जिनका हक़ीक़त में दीदार तक नसीब नही!🥀

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13 APR 2021 AT 16:13

जवानी के बीज दिल मे बोते गए
ना चाहते हुए भी बचपन खोते गए
जैसे जैसे हम बड़े होते गए।

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