पन्नो पर पनपते इस भूचाल को देखा है ,
मेने अपनी शाही को भी इतराते देखा है...
कहा इसे नींद आयेगी यह तो चिंगारी है ,
मेने इन खयालों में मशाल जलते देखा है...
पुराने किस्से है , दिल से लिखा करते है ,
मेने आज इनमे नया आगाज़ होते देखा है...
जंजीर सी बन चुकी , जिंदगी अटकती है ,
मेने हर मर्ज पर दुआ का असर होते देखा है...
जालिम जमाना है ,दर्द में भी मुस्कुराते है ,
मेने फूलों को मधुकर से इश्क करते देखा है...
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