White Pebble   (Urmi Jebaliya)
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Joined 15 July 2018


Joined 15 July 2018
23 HOURS AGO

छिड़कती हूं शाही को पन्नों पर ,
लोग अफसाना समझ पढ़ लेते है ...

फरेब होने पर, हकीकत की बौछार ,
लोग ताने समझ दुश्मन बना लेते है ...

कहा गवारा है इन आंखो को ख्वाब ,
लोग ख्वाबगाह में फिर भी बुला लेते है ...

मदहोशी नही है पन्नों में जो बात कहे ,
लोग हमारी शाही में जाम मिला लेते है ...

किसी भी शहर में मुकाम हासिल नहीं ,
लोग दिल में रखने का किराया लेते है ...

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23 HOURS AGO

पन्नो पर पनपते इस भूचाल को देखा है ,
मेने अपनी शाही को भी इतराते देखा है...

कहा इसे नींद आयेगी यह तो चिंगारी है ,
मेने इन खयालों में मशाल जलते देखा है...

पुराने किस्से है , दिल से लिखा करते है ,
मेने आज इनमे नया आगाज़ होते देखा है...

जंजीर सी बन चुकी , जिंदगी अटकती है ,
मेने हर मर्ज पर दुआ का असर होते देखा है...

जालिम जमाना है ,दर्द में भी मुस्कुराते है ,
मेने फूलों को मधुकर से इश्क करते देखा है...

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YESTERDAY AT 11:25

चलो अब जाने भी दो उन पुराने किस्सों को ,
जिनमें कभी तुम हमारे इश्क के कर्जदार हुआ करते थे ...

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4 MAY AT 12:24

गुलामी अगर वफ़ा से वफ़ा की हो तो अच्छा है ,
वरना खैरात में मिलने पर सदियां बीत जाती है ...

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3 MAY AT 23:26

तुझे पाना होता तो कब का पा चुके होते ,
मगर हमे हासिल इश्क था जो भटकते रहे...

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3 MAY AT 17:48

ढलती शामों के साथ धड़कनों को भी रुकना है ,
तेरे ख्वाबों में बीती रातों को सांसे रोक भुलाना है ...

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3 MAY AT 17:40

किस कदर यह सिलसिला है, क्या सितम दिल पे लिखा है,
मेरा आशिक, मेरा कलमा, मेरा इश्क मेरा रब हुआ है...

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2 MAY AT 13:01

ख्वाईश तो है मेरी की शहजादी बन जाऊ,
मगर जिस सल्तनत पर तेरी हुकूमत नही,
वहा का मुलाजिम भी मुझे गवारा नहीं...

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2 MAY AT 12:51

मुझे वक्त से सिफ़ारिश क्या करनी ,
वो खुद ही रुक जाता है जब में तुम्हारा एहसास करती हूं ...

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1 MAY AT 10:52

तुमने कोई गलती नही की जो इस तरह नजरे चुरा रहे हो ,
इश्क मुकम्मल नही हुआ जो अब ईद का चांद बन चुका है...

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