Vyogi 786   (ख्वाब ❤)
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Joined 2 April 2019


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10 JAN 2022 AT 23:08

"एक पहचान"
हर दिन ना जाने कितने लोग आते है
और इस दुनिया से चले जाते है
पर सबके बारे में दुनिया वाले कहा जान पाते है
हम भी है चलो सबको बताते है
चलो हम भी अपनी एक पहचान बनाते है

एक वो है जिसके जाने से जमाना रो देता है
एक वो है जिसके पास रोने को अपना भी नहीं होता है
चलो इस दुनिया को अपना बनाते है
चलो हम भी अपनी एक पहचान बनाते है

सपने तो कई है पर चल अपनी एक मंजिल बनाते है
बिना रूके निरंतर चलते है और
मंजिल को गले लगाते है
चलो हम भी अपनी पहचान बनाते है

चलो आशा से निराशा को हराते है
'आशा की किरण'से अपने सपनों का सूरज चमकाते है
चल 'महक'सबको बताते है
चलो हम भी अपनी एक पहचान बनाते है
-:योगिता वर्मा 'महक'

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8 OCT 2020 AT 21:07

रात से मोहब्बत भी है और डर भी लगता है
सुबह भी उदासी नहीं जाती और रात आँसुओं का घर लगता है

खुश हूं ये दिखाने के लिए बिना खुशी के मुस्कुराना पङता है
हर सुबह तकिया गीला-सा लगता है

दिल की हर बात दिल से कहकर दिल को ही सुनाना पङता है
अपने तो बहुत है पर अब कोई अपना ना लगता है

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30 SEP 2020 AT 21:15

कीमत लगा दी आज तुमने उसके इज्ज़त की
क्या तुम खुद को उतने में बेच पाओगे ?

कहते हो तुम सबको माताएं - बहने तो बताओ
क्या तुम अपनी ही मां की कीमत लगा पाओगे?

भरना चाहते हो तुम उस परिवार के लोगे का दर्द
क्या वैसे ही उन दरिंदों को नोच पाओगे ?

देना चाहते हो उस परिवार को हर खुशी वापस
क्या तुम उस लड़की को इंसाफ दिला पाओगे?

चलो हम मान लेते है तुमको भी दुःख है उस घटना से
कोई बहन अब ऐसे नहीं जलेगी विश्वास दिला पाओगे?

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30 SEP 2020 AT 16:37

मार दो बेटियों को कोख में ही तो अच्छा हो
ओढे वो दुपट्टा उससे पहले उसे कफन ओढा दो तो अच्छा हो
कभी गलती नहीं दिखी जमाने को दरिंदों की
अरे ये तो कहते है बच्ची को साङी पहना दो तो अच्छा हो
बेटी को जरा शाम जो हुई घर आने में तो डर लगने लगता था सबको
और अब वो दिन में भी ना निकले तो अच्छा हो
अरे उसे कैद में ही घुट घुट के जीना है तो
मार दो बेटियों को कोख में ही तो अच्छा हो
जिन्दा रहेंगी तो भी दुनिया उसे तानों से मार डालेंगी
अरे इस दुनिया को कभी दरिंदों की गलती दिखे तो अच्छा हो
*योगिता* सदियों से जलती आ रही है बहनें-निर्भया, असिफा, प्रियंका और मनीषा जैसे
कभी इनको जलाने वाला दरिंदा जो जले तो शायद कुछ अच्छा हो

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24 SEP 2020 AT 14:19

पास आओ अपने हाथों से
मेरे हाथों को थाम लो ना

आओ पास बैठो कुछ पल
कोई यादगार शाम दो ना

आँखों से आँखें यूं मिलाओ
मुझे , मुझे ही भूल जाने दो ना

सांसो को सांसो में यूं उलझाओ
आज होश को खो जाने दो ना

मिला कर लब से लब आज
चाहतें हद से गुजर जाने दो ना

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23 SEP 2020 AT 17:08

लब बिल्कुल खामोश रखना पड़ता है
चुपचाप ये दर्द सहना पड़ता है

दर्द निचोड़कर रख देता है पेट के निचले
हिस्से को फिर खामोश रहना पड़ता है

कोई पूछे कि क्या हुआ पेट दर्द,कमर
दर्द या बुखार कहना पङता है

भाई पापा के सामने हंसना पङता है
दाग ना लग जाए देखना पङता है

लग जाए दाग तो ये सभ्य समाज बहुत हंसता है
पर फिर बिल्कुल भी खामोश रहना पङता है

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17 SEP 2020 AT 9:18

खुदा ने वक्त से वक्त मांग कर आपको बनाया,
आज ही वो शुभ है जब आपने इस संसार में जन्म पाया

आपका आना बेशक इक बार सबके चेहरे पर उदासी लाया
पर आप ही है जिसने सबको खूब हँसाया

नाक पर गुस्सा हर वक्त रहता है हर बात को अपने अपनी
जिद्द से मनवाया शैतानियों से अपनी सबको बहुत सताया

उदास हुई आप भी जब भी गलती से आपने किसी दिल
दुखाया , तभी तो आपकी इतनी प्यारी मुस्कान बनाया

कबूल हो 'योगिता' की भी दुआ इसलिए खुदा से आज मैंने
अरदास लाया,खुदा दूर रखे आपसे दर्द और आंसुओं का साया

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16 SEP 2020 AT 10:42

बदलते वक्त के साथ सबकुछ सामने आ रहा है
वक्त सबके असली चेहरे दिखा रहा है

किसके लिए है हम खास और किसके
लिए Timepass अब समझ आ रहा है

पूरी करने को जरूरत अपनी इंसान
जरूरी अपने रिश्तों को खोये जा रहा है

अब तो बस वो मतलब के रिश्ते निभा रहा है
आज अपना भी पराया नज़र आ रहा है

कैसे करे भरोसा किसी पर क्योंकि अपना
काम निकलते ही सब अपना रंग दिखा रहा है

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12 SEP 2020 AT 10:38

जो दर्द दिया है तुमने वो चुपचाप सहेंगे
कहना तो बहुत कुछ है तुमसे पर कुछ नाकहेंगे

हक तो आज भी दे रखा है तुमने मुझे पर वो
हक अब हम ना जतायेंगे , तुमको ना सतायेंगे

चाहते थे , चाहते है तुमको और उम्र भर चाहेंगे
पर अब दिल की हर बात तुमसे ना कह पायेंगे

लगेंगे तुम्हारे सीने से पर धङकने ना जोङ पायेंगे
जाना चाहेंगे दूर तो चाह कर भी ना रोक पायेंगे

हाँ ! रूठे तो है तुमसे पर तुम आओ मनाने ये
कभी नहीं चाहेंगे,पर तुमसे मोहब्बत करते जायेंगे

जानती हूँ बुरी लगती है तुम्हें मेरी बातें बहुत
अब हम भी बिल्कुल खामोश हो जायेंगे

तुम चाहोंगे भी तुम्हारे रूठ जाने पर*महक*मनाये
तुमको मेरी जान अब तुम्हारे पास भी नहीं आयेंगे

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11 SEP 2020 AT 14:24

यूँ ही
खामोशी से
जी भर
सुबह से
शाम
निगाहों से
निगाहे
मिलाकर तेरा
दीदार करना
चाहती हूँ
कुछ ही यूं
ही नजरों से
प्यार करना
चाहती हूँ

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