गीता का जिसको ज्ञान नहीं, कुरान जिसने छुई नहीं धर्म का जिसको ज्ञान नहीं, अधर्म का जिसके मन में विचार नहीं चले हैं वो धर्म बचाने जिनको सच्चे धर्म अधर्म की पहचान नहीं
नफरत की तुम आड़ में क्या-क्या तुम अब बांटोगे , धर्म को ढाल बना के मानवता का चीरहरण कब तक तुम ये चलाओगे , जमीन तो तुमने बांट दी क्या जल, अम्बर, पवन भी तुम अब बटोगे