न है इख़्तियार मेरा मेरी ही साँसों पर तुम्हारे चले भर जाने से ताज्जुब क्या ! -
न है इख़्तियार मेरा मेरी ही साँसों पर तुम्हारे चले भर जाने से ताज्जुब क्या !
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जिधर गवा दी नींद सब ने किसी के प्यार में उधर हम सो लिए एक्स्ट्रा तुम्हारे ख़्वाब के इंतज़ार में | -
जिधर गवा दी नींद सब ने किसी के प्यार में उधर हम सो लिए एक्स्ट्रा तुम्हारे ख़्वाब के इंतज़ार में |
सीखिए सलीक़ा अब बस बात करने का किसी के काम से अब किसी को काम नहीं | -
सीखिए सलीक़ा अब बस बात करने का किसी के काम से अब किसी को काम नहीं |
दिन भर सारा शोर शराबा धूल धुआं और बेताबी |फिर शाम सुहानीजैसे तुम खूब सुकून और चाय की प्याली | -
दिन भर सारा शोर शराबा धूल धुआं और बेताबी |फिर शाम सुहानीजैसे तुम खूब सुकून और चाय की प्याली |
बेक़रारी ही अब क़रार लगता है जाये छोड़कर वही यार लगता है |क्यूँ करें शिकायत क्या ही सवाल करना कौन सा वो सरकार लगता है | -
बेक़रारी ही अब क़रार लगता है जाये छोड़कर वही यार लगता है |क्यूँ करें शिकायत क्या ही सवाल करना कौन सा वो सरकार लगता है |
ना होता कुछ तो कैसा होता ,ना होने पर जैसा होता है पूरा पूरा वैसा होता | -
ना होता कुछ तो कैसा होता ,ना होने पर जैसा होता है पूरा पूरा वैसा होता |
वैसे ही जैसे दिसंबर में खिलती है धूप , तुम आज अचानक यूँ आयी | -
वैसे ही जैसे दिसंबर में खिलती है धूप , तुम आज अचानक यूँ आयी |
खेलती हैं ये हवाएं तुमसे जानबूझकर !ज़ुल्फ़ों को बिखरा दिया संवारा तुमने जानबूझकर ! -
खेलती हैं ये हवाएं तुमसे जानबूझकर !ज़ुल्फ़ों को बिखरा दिया संवारा तुमने जानबूझकर !
जब समय था सुकून था तब लिखता था बाएं हाथ से |आज फिर लिखा मैंने आरे - तिरछे अक्षरों में तुम्हारा नाम और बनाया एक दिलनुमा दिल |बाएं हाथ से | -
जब समय था सुकून था तब लिखता था बाएं हाथ से |आज फिर लिखा मैंने आरे - तिरछे अक्षरों में तुम्हारा नाम और बनाया एक दिलनुमा दिल |बाएं हाथ से |
शब्द छूट जाएँ जब तब निशब्द गाऊंगा शायद तुम सुन लो ! -
शब्द छूट जाएँ जब तब निशब्द गाऊंगा शायद तुम सुन लो !